केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान से लेकर पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हैं दंगों के आरोपी

 

 

मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले में दर्ज मुकदमे कानूनी पेंच और सियासी कारणों से सुनवाई और तारीख में ही उलझे हैं। अभी तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है। सच ये है कि दंगों के दर्ज 510 मुकदमों में से एक मामले में ही आरोपियों को अब तक सजा हो पाई है। हत्या, हत्या के प्रयास, रेप, लूट और आगजनी के 100 से अधिक मुकदमों में एक हजार से अधिक आरोपी बरी हो चुके हैं।

वहीं, पूर्व मंत्री और विधायकों के विरुद्ध दर्ज एक मुकदमे की वापसी पर कोर्ट ने भी अनुमति दी है। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, पूर्व विधायक उमेश मलिक, पूर्व सांसद कादिर राणा, पूर्व गृहराज्यमंत्री सईदुज्जमां आदि भी दंगों के दौरान दर्ज मुकदमों में आरोपित हैं।

दंगे में 60 लोगों की हुई थी मौत

साल 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में तीन हत्याओं के बाद फूटी चिंगारी ने पूरे जिले को सांप्रदायिक आग में झोंक दिया था। सात सितंबर 2013 काे जिले भर में दंगा भड़क उठा था। दंगे में 60 से अधिक लोगों की जान गई थी और 50 हजार से अधिक लोगों को दहशत के चलते पलायन करने को मजबूर होना पड़ा था। करोड़ों रुपये की संपत्ति आग में जलकर राख हो गई थी।

सचिन-गौरव हत्याकांड में सात आरोपियों को सजा

27 अगस्त 2013 को शाहनवाज की हत्या कर फरार हो रहे ममेरे भाईयों सचिन तथा गौरव की आक्रोशित भीड़ ने पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी थी। घटना के मुकदमे की सुनवाई एडीजे हिमांशु भटनागर ने की थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने 6 फरवरी 2019 को सात आरोपियों को हत्या में दोष सिद्ध कर दिया था। आठ फरवरी को सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2013 के सांप्रदायिक दंगों के मामलों में आज तक केवल इसी केस में ही सजा हुई।

सुरेश राणा सहित 11 से हुआ था केस वापस

सचिन और गौरव की हत्या के बाद सात सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ इंटर कॉलेज मैदान में बहू-बेटी बचाओ पंचायत का आयोजन किया गया था। पंचायत के बाद जिले भर में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। इसके बाद पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा, सरधना से पूर्व विधायक संगीत सोम, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र, साध्वी प्राची सहित 11 लोगों को आरोपित बनाते हुए संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।

मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट संख्या-5 में चल रही थी। शासन की अनुमति के बाद कोर्ट ने 321 सीआरपीसी के तहत मार्च 2021 को उक्त मुकदमे की वापसी पर मुहर लगा दी थी।

शासन ने दी थी 79 मुकदमे वापसी की अनुमति

दंगों के बाद 510 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनकी विवेचना एसआईटी ने की थी। विवेचना पूर्ण कर एसआईटी ने 175 मामलों में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। जबकि 165 में एफआर लगा दी थी, वहीं 170 मुकदमे एक्सपंज कर दिए थे। 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद डॉ. संजीव बालियान खाप चौधरियों को सीएम के पास लेकर गए थे, जहां उनसे फर्जी मुकदमे वापस करने की गुहार लगाई गई थी।

इस पर न्याय विभाग ने जिला प्रशासन से 13 बिंदुओं पर दंगों के मुकदमों की रिपोर्ट मांगी थी। बाद में अलग-अलग चरणों में शासन ने दंगों से जुड़े 79 मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की थी। जिन्हें वापस लेने के लिए अभियोजन ने मजिस्ट्रियल और सत्र न्यायालयों में 321 सीआरपीसी की अर्जी दाखिल की थी।

शासन ने दी थी 79 मुकदमे वापसी की अनुमति

दंगों के बाद 510 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनकी विवेचना एसआईटी ने की थी। विवेचना पूर्ण कर एसआईटी ने 175 मामलों में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। जबकि 165 में एफआर लगा दी थी, वहीं 170 मुकदमे एक्सपंज कर दिए थे। 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद डॉ. संजीव बालियान खाप चौधरियों को सीएम के पास लेकर गए थे, जहां उनसे फर्जी मुकदमे वापस करने की गुहार लगाई गई थी।

इस पर न्याय विभाग ने जिला प्रशासन से 13 बिंदुओं पर दंगों के मुकदमों की रिपोर्ट मांगी थी। बाद में अलग-अलग चरणों में शासन ने दंगों से जुड़े 79 मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की थी। जिन्हें वापस लेने के लिए अभियोजन ने मजिस्ट्रियल और सत्र न्यायालयों में 321 सीआरपीसी की अर्जी दाखिल की थी।

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