आरी की तरह पहले सांस और खून नली को काटा  वोकल कॉर्ड तक चीरते हुए निकला

 

बीकानेर में चाइनीज मांझे से रविवार को एक युवक राकेश की मौत हो गई। युवक की जांच में पता चला की उसका गला करीब 4 इंच तक कट गया था। ऐसे में उसके गले के ऊपर और नीचे के शरीर का संपर्क टूट गया। कुछ ही देर में तड़पते-तड़पते उसने दम तोड़ दिया। मांझा इतना खतरनाक था कि पहले गले की सांस नाल और फिर दिमाग तक खून ले जाने वाली मुख्य नली को पूरी तरह काट दिया। डॉक्टर्स का मानना है कि तलवार के वार से जैसे तुरंत मौत जाती है, वैसे ही चाइनीज मांझे ने गले को रेत दिया।

पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. परमेंद्र सिरोही ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि राकेश का गला चार इंच तक कटा है। गले से गुजर रही अधिकांश आर्टरी (नसें) कट गई। हमारे गले में सबसे पहले सांस नली होती है। जो कटने के बाद सांस नहीं आती। वहीं इसके पास ही शरीर से ब्लड को दिमाग ले जाने वाली केरोटिड आर्टरी होती है। ये आम नलियों से बड़ी होती है। राकेश का गला चार इंच कटा तो उसकी सांस नली, केरोटिड आर्टरी, आहार नली और वॉकल कॉड तक कट गए। वॉकल कोड कटने के कारण वो किसी को आवाज तक नहीं दे सका। ये ही कारण है कि उसने कुछ देर तड़पने के बाद दम तोड़ दिया।

आरी की तरह चला मांझा

दरअसल, राकेश के गले पर चाइनीज मांझा आरी की तरह चला। एक तरफ वो खुद बाइक पर तेजी से चल रहा था। दूसरी तरफ मांझा खींचा जा रहा होगा, जिससे गला कटता ही चला गया। कुछ सेकेंड में ही उसके गला चार इंच तक कट गया। डॉक्टर्स का कहना है गले में चार इंच तक सभी महत्वपूर्ण नलियां होती है, जो राकेश की कट चुकी थी।

मांझा नहीं गला रेतने का औजार है ये

डॉ. सिरोही कहते हैं कि चाइनीज मांझा सिर्फ मांझा नहीं है बल्कि गले को रेतने के लिए एक आरी है। ये शरीर के जिस हिस्से पर लगता है, उसी को काट देता है। हमारी त्वचा बहुत नरम होती है जो इस तरह के मांझे से शरीर को बचा नहीं सकती। ऐसे में इस मांझे का उपयोग ही बंद करना होगा।

ऑफिस काम से गया था

राकेश अवकाश के दिन भी रविवार को शिक्षा विभाग के काम में ही लगा हुआ था। मुख्यमंत्री दौरे के कारण वो भी अपने ऑफिस काम से ही गया हुआ था। इस बीच चाइनीज मांझे से उसकी गर्दन कट गई। घाव इतना गहरा था कि कई देर तक सड़क पर तडपते हुए उसने दम तोड़ दिया। घटना की जानकारी मिलने पर शिक्षा निदेशक कानाराम स्वयं एक्टिव हो गए। उन्होंने ही अपने स्टॉफ को पीबीएम अस्पताल भेजा। जहां पोस्टमार्टम होने तक निदेशालय के अधिकारी मौजूद रहे।

दरअसल, जिस जगह वो मांझे की चपेट में आया था, वहां आवागमन कम है। हालांकि ये हॉस्टल के आगे का घटनाक्रम है लेकिन भरी दोपहरी में हॉस्टल के आगे भी कोई आ-जा नहीं रहा था। ऐसे में मरने तक उसके पास कोई नहीं पहुंचा। बीएसएनएल के एक्सचेंज और राजपूत छात्रावास के पास दोपहर में तेज गर्मी के दौरान आवागमन लगभग शून्य रहता है। दरअसल, ये मुख्य रास्ता भी नहीं है।

प्रशासन की खानापूर्ति कार्रवाई

इस घटना के तुरंत बाद बीकानेर प्रशासन ने चाइनीज मांझे के उपयोग और संग्रहण पर रोक लगा दी है। इसकी खरीद करना और बेचना दोनों अपराध है। जिला कलक्टर कार्यालय से हर साल ये आदेश जारी होते हैं लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। चंद दुकानों से मांझा जब्त करने के बाद भी कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई है। ऐसे में आज भी चोरी छिपे चाइनीज मांझा बेचा जाता है।

बीकानेर में मांझे से हुए हादसे

  • पिछले साल 19 मार्च को गंगाशहर में बाइक सवार चाइनीज मांझे की चपेट में आया था। जिससे पांच साल के बच्चे कान्हा के नाक व कान के पास सात टांके लगाने पड़े
  • दो अप्रैल 2020 को रानी बाजार पुलिया के पास बाइक सवार बाबूलाल चाइनीज मांझे की चपेट में आ गया। उसकी गर्दन पर भी सात टांके आए थे, गनीमत रही कि वो बच गया।
  • 29 मार्च 2019 को पवनपुरी में तेरह साल का बच्चा सौरभ घायल हो गया। उसके नाक, कान व आंख पर गंभीर घाव हुए थे।
  • 22 अप्रैल 2017 को कोटगेट थाना क्षेत्र में 23 साल का सुरेश भी चाइनीज मांझे की चपेट में आने से घायल हुआ।

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