साइबर थाना पुलिस ने बाहरी उत्तरी जिला के एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो मरे हुए लोगों के खातों में साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर करके निकालते थे। यही नहीं कई मामलों में आरोपी पीड़ितों के मोबाइल हैक करने के बाद उनके बैंक खातों से लोन तक लेकर उसे भी डकार जाते थे। पुलिस ने इस संबंध में एक नाबालिग समेत तीन आरोपियों को दबोचा है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान गैंग सरगना, गांव ककोला, लोडा, अलीगढ़ निवासी ललित कुमार उर्फ मोदी उर्फ रिंकू (27) और विश्वजीत सिंह (28) के रूप में हुई है।
पुलिस ने आरोपियों के पास से पांच मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक नोटबुक और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। कई मामलों में आरोपी पीड़ितों के कागजात का इस्तेमाल कर जीएसटी नंबर उसे भी बेच दिया करते थे। ललित के खिलाफ पहले से हत्या, हत्या के प्रयास, लूटपाट जैसे कई मामले दर्ज हैं। अपराध की मुख्य धारा छोड़कर वह साइबर अपराध की ओर इसलिए आया क्योंकि यहां पकड़े जाने पर जमानत जल्दी और मुनाफा मोटा होता था। पुलिस इनसे पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।
बाहरी उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त बूजेंद्र कुमार यादव ने बताया कि पिछले दिनों रोहिणी सेक्टर-11 नविसी निर्मल सिंह ने ठगी की शिकायत दी थी। साइबर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। पीड़ित ने बताया कि उसके साथ सनातन धर्म आश्रम में रहने वाले नाबालिग ने शायद ठगी की थी। उसके साथ कुल 4.70 लाख की ठगी हुई थी। आरोपियों ने न सिर्फ उसके खाते से रकम निकाली बल्कि उसके खाते से ऑन लाइन लोन अप्लाई कर उसे भी लेकर उड़ा लिया था। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि नाबालिग लड़का निर्मल के आश्रम में पिछले करीब एक साल से रह रहा था। चूंकि निर्मल को ज्यादा मोबाइल चलाना नहीं आता था इसलिए नाबालिग ही उसके मोबाइल को चलाता था। इस दौरान नाबालिग की ललित से मुलाकात हुई। उसने नाबालिग की मदद से एक एप निर्मल के मोबाइल में डाउनलोड करवा दिया। इसके बाद उसके फोन को हैक कर उसके खाते को पहले खाली किया गया।
बाद में उसके ही मोबाइल से लोन अपलाई कर लोन भी अपने खातों में ट्रांसफर करवा लिये। वारदात को अंजाम देने के लिए उसने सुमित उर्फ गोलू और विश्वजीत सिंह का साथ लिया। पुलिस ने छानबीन के बाद ललित और विश्वजीत को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सुमित फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी ने इसी तरह 24 लोगों के साथ ठगी की थी। इसके अलावा उसने 11 लोगों के कागजात प्राप्त कर उनके खातों पर जीएसटी नंबर लकर उनको भी 20-20 हजार रुपये में बेच दिया था।
अस्पताल में मरने वाले लोगों के कागजातों के आधार पर खुलवा लेते थे बैंक खाता…
पुलिस की पूछताछ में आरोपी ललित ने बताया कि सुमित उर्फ गोलू अस्पताल में ऐसे लोगों का पता करता था, जिनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब होती थी। उन लोगों के परिजनों को लालच देकर मरने वाले लोगों के कागजात जुटाकर उन पर खाता खुलवा लिया जाता था। उसका एटीएम कार्ड, चेकबुक व फोन नंबर सब अपने पास रखते थे। व्यक्ति के मरने के बाद उस खाते में ठगी की रकम ट्रांसफर कर उसे निकाल लिया जाता था।
आधार लोन के नाम पर ललित ने खोला हुआ था फेसबुक पेज…
आरोपी ललित ने लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए फेसबुक पर %आधार लोन% के नाम से एक पेज बनाया हुआ था। यहां पर महज आधार पर लोन दिलाने की बात की जाती थी। यहां आरोपी पीड़ितों के कागजात ऑन लाइन मंगाते थे। बाद में इन कागजातों के आधार पर खाते खुलवाकर उनके जीएसटी नंबर भी ले लिये जाते थे। उनको आगे 20 हजार में बेच दिया जाता था।
आरोपी ललित बीटेके की कर रहा था पढ़ाई, विश्वजीत ने भी दी यूपीएससी की परीक्षा…
करीब दर्जनभर हत्या, लूटपाट, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे संगीन मामलों में शामिल रहा ललित ठीक-ठाक परिवार से संबंध रखता है। वह पढ़ाई में भी ठीक था। शुरुआत में उसने बीटेक में दाखिला लिया। उसने चार सेमिस्टर पास भी कर लिये। लेकिन बाद में बुरी संगत में पढ़ने के बाद उसने अपराध का रास्ता चुन लिया। वहीं दूसरी ओर विश्वजीत सिंह अलीगढ़ में अपना कोचिंग सेंटर चलाता है। उसने ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। कोविड के बाद उसने कोचिंग सेंटर बंद किया हुआ था। सुमित ने इसे ललित से मिलवाया था।