बेथेल चर्च बाँदा में मनाया गया गुड फ्राइडे त्यौहार

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बेथेल चर्च बाँदा में मनाया गया गुड फ्राइडे त्यौहार

ब्यूरो मुन्ना बक्श के साथ प्रशान्त त्रिपाठी की रिपोर्ट

बाँदा। रेवरेंट पुनीत लाल जीने बताया की गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है यह प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान दिवस है | ईश्वर का नियम संसार पर सभी मानव जाति पर सामान लागू है धर्मशास्त्र के अनुसार आखिर बलिदान होता क्या है और उसका अनुसरण भी सभी करते हैं
जैसे प्रार्थना सभी मनुष्य जाति ईश्वर से प्रार्थना करते हैं उपवास सभी करते हैं दान पुण्य सभी करते हैं बलिदान भी सभी करते हैं
बलिदान का मुख दो देश है एक शुद्धीकरण और दूसरा मन्नत पूर्ण होने का बलिदान वास्तविक शुद्धीकरण का विधि ईश्वर द्वारा फहराया गया है जो पशु निरोग निर्दोष होता था ऐसे पशु का बलि चढ़ाया जाता था ताकि उसके लहू को मनुष्य और विधि स्थान पर छिड़काव करके शुद्धीकरण किया जाता था जो मानव गलती पाप अपराध करते थे उस लहू से छिड़काव से पवित्र हो जाते थे
लेकिन संसार में जो बलिदान करते है उनका उद्देश्य शुद्धीकरण नहीं है इसीलिए परमेश्वर इस बलिदान का नया रूप दिया जो अपने प्रिय पुत्र प्रभु यीशु को सारे संसार के पापों से छुटकारा के लिए क्रूस पर बलिदान कर दिया क्योंकि प्रभु यीशु निर्दोष निष्पाप और पवित्र था और इससे पवित्र लहू और किसी का हो ही नहीं सकता जिसके लहू बहाने के द्वारा पापों से क्षमा छुटकारा मिलती है
अब किसी पशु की शुद्धिकरण के लिए बलिदान की आवश्यकता नहीं है प्रभु यीशु के बलिदान होने के पश्चात अब बलिदान का अंत हुआ और शाश्वत जीवन प्रारंभ हुआ क्योंकि प्रथम आदम जीवन प्राणी बना और अंतिम आदम जीवन दायक आत्मा पवित्र आत्मा ग्रंथ बाइबिल बताती है

कि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें वह नाच ना हो परंतु अनंत जीवन पाए
अतः गुड फ्राइडे मानव के प्रति ईश्वर के प्रेम का प्रगति करण तथा पाप क्षमा और मुक्ति पाने हेतु यीशु का क्रूस पर बलिदान दिवस है यही कारण है गुड फ्राइडे मनाने का।

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