3 लंगूर हो चुके रेस्क्यू, आगरा में 50 से ज्यादा संस्थान और घरों में बंदरों से बचने के लिए लंगूरों को जिम्मेदारी
आगरा समेत पूरे ब्रज क्षेत्र में बंदरों का आतंक है। यहां बंदरों से बचने के लिए आगरा में अब लंगूरों का व्यापार किया जा रहा है। बाकायदा लंगूरों को ट्रेनिंग देकर उन्हें बेचा जाता है। आगरा की पशु प्रेमी विनीता अरोड़ा ने ये मुद्दा वन विभाग तक पहुंचाया। जिसके बाद वाइल्ड लाइफ एसओएस ने लाचपत कुंजबाग फरजाना के एक घर से इंडियन ग्रे लंगूर को रेस्क्यू किया। इस लंगूर का साइट पर ही मेडिकल परीक्षण किया गया। फिर जंगल में वापस छोड़ दिया गया। लंगूर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।
पहले रेस्क्यू ऑपरेशन भी हुए हैं
वन क्षेत्र अधिकारी राम गोपाल सिंह ने बताया कि ये तीसरा लंगूर है। जिसे हमने इस महीने आजाद करके जंगल में छोड़ा है। इससे पहले आगरा के कमला नगर और संजय प्लेस से भी दो लंगूर जब्त किए थे।बंदरों से बचाव के लिए आगरा में दो करोड़ खर्च कर इनकी नसबंदी की व्यवस्था की गयी थी। पर आज भी लंगूर ही उचित उपाय माना जाता है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि लोगों में एक भ्रम है। बंदर लंगूरों से डरते हैं। अक्सर बंदरों को खतरा माना जाता है। आज शहर पर्याप्त कचरा उत्पन्न करते हैं, जो बंदरों को शहर की और आकर्षित करता है। इसके अलावा, लोग धार्मिक भावनाओं के लिए बंदरों को खाना भी खिलाते हैं।
भारतीय ग्रे लंगूर को हनुमान लंगूर भी कहा जाता है। यह काले चेहरे और कानों के साथ बड़े भूरे रंग के प्राइमेट होते हैं। जिनकी पेड़ों पर संतुलन बनाये रखने के लिए एक लंबी पूंछ होती है। लंगूर सबसे अधिक भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। वे रेगिस्तानों, ट्रॉपिकल रेनफौरेस्ट और पर्वतीय आवासों में निवास करते हैं।
कालोनियों में करते हैं नौकरी फाइव स्टार होटलों से लेकर
आगरा में बंदर द्वारा लोगों के रुपये लूटने, चेन खींचने, जानलेवा हमले करने और धक्का देकर जान से मारने के कई मामले सामने आ चुके हैं। वृंदावन में बांके बिहारी के दर्शन को आने पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आगमन पर भी बंदरों से चश्मा बचाने को लंगूर की ड्यूटी लगाई गई थी। बाद में, पशु प्रेमी संस्थाओं के विरोध के बाद लंगूर हटाने पड़े थे। पर आज भी तमाम बैंक, फाइव स्टार होटल स्कूल और बाजारों में लोग महीनेदारी पर लंगूर को रखवाते हैं। आगरा शहर में वर्तमान में लगभग 50 लंगूर बंदर भगाने का काम कर रहे हैं।