धूमधाम से मनाया गुरू तेग बहादुर का 401 वां प्रकाश पर्व – मुगलों के खिलाफ युद्ध में गुरू तेग बहादुर ने दिया था वीरता का परिचय – गुरूद्वारे में सिक्ख समुदाय के लोगों ने चखा प्रसाद
फतेहपुर। सिक्खांे के नौवे गुरू गुरू तेग बहादुर का 401 वां प्रकाश पर्व स्थानीय गुरूद्वारे में धूमधाम से मनाया गया। गुरूद्वारे में सबद कीर्तन, अरदास हुई तत्पश्चात लंगर का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लेकर प्रसाद चखा। ज्ञानी गुरूवचन सिंह ने गुरू तेग बहादुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का आयोजन गुरू सिंह सभा के प्रधान दर्शन सिंह की अगुवाई में किया गया। ज्ञानी गुरूवचन सिंह ने बताया कि अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर गुरु हरगोविन्द जी के पांचवें पुत्र थे। आठवें गुरु हरिकृष्ण राय के निधन के बाद इन्हें नौवे गुरु बनाया गया था। इन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण कराया और ये वहीं रहने लगे थे। वे बचपन से ही बहादुर, निर्भीक स्वभाव के और आध्यात्मिक रुचि वाले थे। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धारण नहीं किया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा तो गुरु साहब ने कहा कि शीश कटा सकते हैं केश नहीं। औरंगजेब ने गुरुजी पर अनेक अत्याचार किए, लेकिन वे अविचलित रहे। वह लगातार हिंदुओं, सिखों, कश्मीरी पंडितों और गैर मुस्लिमों का इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध करते रहे। संगत में लाभ सिंह, सतपाल सिंह, परमिंदर सिंह, कुलजीत सिंह सोनू, वरिंदर सिंह पवि, गुरमीत सिंह, सिमरन सिंह, बंटी, रमन व महिलाओं में जसवीर कौर, हरविंदर कौर, प्रीतम कौर, मंजीत कौर, खुशी, सिमरन कौर जसपाल कौर, प्रभजीत कौर, हरमीत कौर उपस्थित रहे।