मुस्लिम नेता क्यों समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ रहे, क्या शिवपाल खड़ा करेंगे उत्तर प्रदेश में नया विकल्प
समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक के बाद एक सपा के मुस्लिम नेताओं के तीखे बयान सामने आ रहे हैं। कई मुस्लिम नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। आजम खान के मीडिया प्रभारी से लेकर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क तक अखिलेश के खिलाफ बयान दे चुके हैं। उधर, शिवपाल यादव भी सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। इस मुलाकात के बाद प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बनने की चर्चा भी शुरू हो गई है।ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिर क्यों मुसलमान समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं? इस टूट का फायदा किसे मिलेगा? क्या जयंत चौधरी नया समीकरण बनाने में कामयाब होंगे या शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति को नया विकल्प देंगे?
हमारे साथ तो वो समाजवादी पार्टी भी नहीं है, जिसके लिए हमने अपने खून का एक-एक कतरा बहा दिया। हमारे नेता मोहम्मद आजम खां ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी, लेकिन सपा ने आजम खां के लिए कुछ नहीं किया। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है।
अब कयास लगाए जा रहे हैं कि रालोद के मुखिया जयंत चौधरी नया समीकरण बनाने में जुट गए हैं। आजम के परिवार से मुलाकात से पहले जयंत और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के साथ राजस्थान के पाली भी गए थे। यहां जितेन्द्र मेघवाल नाम के एक शख्स की 15 मार्च 2022 को हत्या कर दी गई थी। जितेंद्र दलित वर्ग से आते थे। जयंत और चंद्रशेखर जितेंद्र के घरवालों से मिलने गए थे। जयंत के इस कदम के बाद चर्चा है कि वो खुद को पश्चिमी यूपी में मजबूत कर रहे हैं।
वहीं, शिवपाल की आजम खान से मुलाकात के बाद इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा से मनमुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर शिवपाल नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में वो उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की भी कोशिश कर सकते हैं।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पहले से ही मुसलमानों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही हैं। वह खुलकर कह चुकी हैं कि दलित-मुसलमान गठजोड़ से ही भाजपा को हराया जा सकता है।