क्यों हो रहा इन मुद्दों पर बवाल, हिजाब, किताब, हलाल से लेकर बुलडोजर, लाउडस्पीकर, मुगल और बाइबिल तक

देश में इन दिनों एक के बाद एक कई सांप्रदायिक विवाद खड़े हुए। पिछले छह महीने के अंदर सात मुद्दों पर बड़ा विवाद हुआ। एक महीने पहले तक इन विवादों को यूपी समेत पांच राज्यों के चुनावों से जोड़ा जाता था। अब कहा जा रहा है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है।  कर्नाटक में नवंबर 2021 से ही किताब विवाद चल रहा है। सबसे पहले राज्य सरकार ने कक्षा एक से लेकर दसवीं तक के पाठ्यक्रम से उस हिस्से को हटवाया, जिसमें कहा गया था कि हिंदू धर्म के चलते भारत में जैन और बौद्ध धर्म आगे नहीं बढ़ पा रहा है। फिर सरकार ने स्कूलों में श्रीमद्भगवत गीता पढ़ाने के लिए आदेश जारी किया। जिसका कई लोगों ने विरोध भी किया। हाल ही में सरकार ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने का फैसला किया। संशोधन के बाद टीपू सुल्तान से जुड़े एक अध्याय समेत कुछ और चैप्टर्स को हटाया जाएगा। इसके अलावा कश्मीर का इतिहास, बाबा बुदनगिरी और दत्तपीठ के बारे में पढ़ाया जाएगा। कर्नाटक में बाबा बुदनगिरी और दत्तपीठ हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद की वजह रहे हैं।  इस विवाद की शुरुआत 27 दिसंबर 2021 से कर्नाटक के उडुपी गवर्नमेंट कॉलेज से हुई। तब कुछ मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर क्लास में आने से रोका गया था। इसके बाद ये मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में निर्धारित ड्रेस कोड का पालन होना चाहिए। ये भी कहा कि इस्लाम में हिजाब की अनिवार्यता कहीं नहीं है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।  अप्रैल की शुरुआत में गुड़ी पड़वा पर्व के दौरान हलाल मीट का विवाद उठा। हिंदू नव वर्ष के दौरान कुछ संगठनों ने कर्नाटक में हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी। चेतावनी दी कि अगर इसे बंद नहीं किया गया तो जबरदस्ती दुकानें बंद करवा दी जाएंगी। कहा गया है कि जानवरों को तड़पाकर मारा जाता है। इस तरह से मारे गए जानवरों का मांस अशुद्ध होता है और उसे देवी-देवताओं को नहीं लगाया जा सकता है। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था कि हम महाराष्ट्र में दंगे नहीं चाहते। नमाज अदा करने का किसी ने विरोध नहीं किया। लेकिन अगर आप अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं, तो हम भी हनुमान चालीसा के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करेंगे। मुसलमानों को समझना चाहिए कि धर्म कानून से बड़ा नहीं है। तीन मई के बाद, मैं देखूंगा कि क्या करना है। यहीं से लाउडस्पीकर का विवाद तेज हो गया। देशभर में मांग उठने लगी कि मस्जिदों से लाउडस्वीकर हटाए जाएं नहीं तो अन्य धर्मों के लोग भी हर रोज लाउडस्वीकर पर पूजा-पाठ करने लगेंगे।  यूं तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अपराधियों, गुंडो और बदमाशों के घरों पर बुलडोजर चलवा रहे थे, लेकिन ये सबसे ज्यादा चर्चा में तब आया जब दिल्ली के जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चला। ये वही जगह थी, जहां 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दौरान निकाली जा रही शोभा यात्रा पर पथराव हुआ था। बुलडोजर की चर्चा तब और तेज हो गई जब राजस्थान के अलवर में 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चला।   लाउडस्पीकर का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि हनुमान चालीसा को लेकर विवाद शुरू हो गया। 24 अप्रैल को महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने एलान किया कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगी। नवनीत के साथ उनके विधायक पति रवि राणा ने भी यही बात कही। वह मातोश्री पहुंचते इसके पहले बड़ी संख्या में शिवसैनिक उनके ही घर पहुंच गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। नवनीत और रवि राणा को गिरफ्तार कर लिया गया। मामला अभी कोर्ट में है।   कर्नाटक में हिजाब, किताब और हलाल के बाद अब बाइबिल पर विवाद शुरू हो गया है। बेंगलुरु के क्लेरेंस हाई स्कूल प्रबंधन ने आदेश जारी कर कहा है कि स्कूल में बच्चों को बाइबिल लाना जरूरी है। स्कूल के इस फैसले का हिंदू संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के क्लेरेंस हाई स्कूल प्रशासन ने स्टूडेंट्स के पेरेंट्स से एक एप्लिकेशन फॉर्म पर वचन लिया है कि वे अपने बच्चों को बाइबिल स्कूल लाने पर आपत्ति नहीं जताएंगे। स्कूल के इस फैसले को हिंदू संगठनों ने एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन बताया है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद श्रीवास्तव से संपर्क किया।  कहा, ‘कोरोनाकाल में दुनिया के बड़े-बड़े देश मुसीबत में आ गए। हर जगह सामाजिक और आर्थिक स्थिति खराब हो गई।  तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत मुसीबत से बाहर निकल आया। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि भारत की ग्रोथ रेट इस बार सबसे आगे रहने वाली है। ऐसे में कुछ असमाजिक तत्व इस तरक्की को पचा नहीं पा रहे हैं। इसलिए देश में अस्थिरता पैदा करने की साजिश में जुट गए हैं।’

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