सपा से दूरी के दिए संकेत आजम खां ने
एक दिन पूर्व सपा विधायक और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा भी आजम खान से मिलने सीतापुर जेल में आए थे लेकिन उनसे नहीं मिल पाए थे। कहा जा रहा है कि आजम ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया। हालांकि रविदास का कहना है कि जेल प्रशासन ने उन्हें आजम से मिलने नहीं दिया। केवल एक वहीं हैं जिनसे आजम की मुलाकात नहीं हो पाई।बाकी सभी दलों के लोगों के साथ वह आराम से मिले। इससे कहा यह जा रहा है कि आजम ने जानबूझकर सपा को झटका दिया है और वह पूरी तरह से यह जताना चाह रहे हैं कि वह सपा से नाखुश हैं। इस स्थिति से चर्चाएं शुरू हो गई कि आजम सपा का दामन भी छोड़ सकते हैं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी आजम को उनकी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे चुकी है। इसके अलावा आजाद समाज पार्टी केप्रमुख चंद्रशेखर आजाद आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम से उनके घर पर जाकर मुलाकात कर चुके हैं।लों के अपने अपने गणित हैं। शिवपाल यादव का गणित साफ है कि यदि वह आजम खां को अपने साथ ले लेते हैं तो अखिलेश को बड़ा झटका देंगे। आजम मुस्लिमों का बड़ा चेहरा हैं। यही कांग्रेस थिंक टैंक भी सोच रहा है। यदि आजम साथ आ गए तो मुस्लिमों में इसका बड़ा संदेश जाएगा और कांग्रेस का पुराना वोटर मुस्लिम वर्ग फिर से उसके साथ आ सकता है। हालांकि जयंत गठबंधन धर्म निभाने गए थे पर सवाल यही है कि इस समय क्यों? उनके परिवार से जयंत की मुलाकात के सियासी मायने है।पश्चिमी उप्र के मुस्लिमों में आजम की स्वीकार्यता रालोद के साथ भविष्य में भी बेहतर तालमेल करा सकती है। औवेसी उनके जरिए अपनी मुस्लिम राजनीति को और चमकाना चाहते हैं। चंद्रशेखर भी उनके सहारे वेस्ट यूपी में दलित मुस्लिम के नए गठजोड़ का आधार ढूंढ रहे हैं। उधर भले ही बसपा से कोई नेता अभी आजम से न मिला हो पर बसपा भी इस पूरे प्रकरण पर पैनी निगाह लगाए हुए है।