इस्तेमाल टेप से बांधा चेहरा सामान पैक करने में
अपहर्ताओं ने बालक के साथ बर्बरता भी की थी। आंख, सिर और चेहरे को सामान पैक करने में इस्तेमाल किए जाने वाले टेप से बांध दिया था। दोनों हाथ पीछे करके कपड़े से बांधे थे। इसी हालत में बालक अखंड आठ दिनों तक पड़ा रहा। बरामदगी के समय जब एसटीएफ गोरखपुर इकाई के प्रभारी निरीक्षक सत्य प्रकाश सिंह कमरे में दाखिल हुए तो बालक डर गया।कांपते हुए कहा कि मुझे मत मारिए। इस पर प्रभारी निरीक्षक ने ढांढस बंधाया और कहा कि बेटा पुलिस आई है। आपको छुड़ा लिया है। प्रभारी निरीक्षक व उनकी टीम के सदस्यों ने बालक के सिर व चेहरे से टेप हटाया, फिर काले व सफेद कपड़े से बंधे हाथों को मुक्त किया। बालक के कान के पास बंधे टेप को ब्लेड से काटना पड़ा।
आठ दिनों से एक ही कमरे में बंद अखंड को चोटें आई हैं। कपड़े से बांधे गए हाथ के चमड़े कुछ जगह से उखड़ गए हैं। सामान पैक करने वाले टेप की वजह से कान के पास गहरा घाव हो गया है। इसी का नतीजा रहा कि अपहर्ता के चंगुल से बालक को मुक्त कराने के बाद एसटीएफ स्वास्थ्य केंद्र ले गई। प्राथमिक उपचार के बाद बालक को परिजनों के हवाले किया गया।एसटीएफ ने बालक को जैसे ही मुक्त कराया, वह बोल पड़ा। कहा कि बहुत प्यास लगी है। पानी दे दीजिए। टीम के सदस्यों ने पानी पिलाया। इसके बाद बालक ने कहा कि कमरे के पास कपड़े पड़े हैं। एसटीएफ की टीम कपड़ा लाई और पहनाकर बाहर निकाला। आठ दिन से एक कमरे में बंद अखंड के कपड़े उतरवा दिए गए थे। सिर्फ एक बनियान पहनाकर बैठाया था एसटीएफ की छानबीन से पता चला कि आदित्य व सूरज ने संतकबीरनगर के बेलहरकला थाना क्षेत्र से 28 अप्रैल को मोबाइल फोन लूटा था। इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। एसटीएफ के मुताबिक, फिरौती की धनराशि मांगने के लिए ही दोनों ने संतकबीरनगर के पिपरा चौराहे से हरिश्चंद्र का फोन लूटा था। इस वारदात को फोर व्हीलर से अंजाम दिया गया था। बाद में इसके जरिए फिरौती मांगी गई।
एसटीएफ के मुताबिक, अपह्त बालक अखंड कसौधन अपहर्ताओं को पहचानता था। इसीलिए सब्जी मंडी मिले अपहर्ताओं के बुलाने पर साथ चला गया। किसी तरह का विरोध नहीं दर्ज कराया। एसटीएफ के मुताबिक, अपहर्ताओं की जान-पहचान के मामले में अपह्त के जान को ज्यादा खतरा रहता है। अपहर्ता जानते हैं कि छूटने के बाद पोल खुल सकती है। इस मामले में भी ऐसा था। अगर 50 लाख रुपये की फिरौती मिली होती तो अपहर्ता बालक को नुकसान पहुंचा सकते थे। जिस तरह से बालक को बांधकर रखा गया था, उससे अपहर्ताओं के मंसूबे ठीक नहीं लग रहे थे।