नए पैटर्न से पासिंग नंबर पाना आसान, ज्यादा सवालों से हुआ फायदा आने वाले समय में इसके परिणाम और बेहतर रहेंगे।

 

MP बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का रिजल्ट इस साल 72.72% रहा। इस बार की खास बात यह रही कि सभी ग्रुप में फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम हुई है। कॉमर्स में सफलता का प्रतिशत सबसे ज्यादा 89% रहा। दूसरे नंबर पर बायोलॉजी 88%, मैथ-साइंस 86% और ह्यूमैनिटी (आर्ट्स) में सबसे कम 85% रहा। वर्ष 2019 और वर्ष 2020 से तुलना करें तो इस साल वर्ष 2022 में रिजल्ट सबसे बेहतर रहा। बीते तीनों साल 12वीं का रिजल्ट सबसे अच्छा है। पासिंग प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा।

सबसे टफ माने जाने वाले मैथ-साइंस और बायोलॉजी ग्रुप का रिजल्ट आर्ट्स की तुलना में काफी बेहतर रहा। कॉमर्स का पासिंग प्रतिशत सबसे अच्छा रहा। कोरोना को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने परीक्षा का नया पैटर्न तैयार किया था। इसमें स्टूडेंट्स कम लिखकर भी अधिक अंक हासिल कर सकते हैं। सिर्फ छात्र को सटीक और सही जवाब देना होता है।

अभी तक जो पैटर्न था उसमें एक प्रश्न ज्यादा अंक का पूछा जाता था। ऐसे में उत्तर नहीं आने पर ज्यादा अंक कट जाते थे। एक प्रश्न को कवर करना मुश्किल होता था। अब पैटर्न को बदला गया है। जिसके अनुसार 30% प्रश्न तो ऑब्जेक्टिव हो गए हैं। जिसमें 30 प्रश्न 1-1 नंबर के पूछे जाते हैं। साथ ही खाली स्थान जैसे प्रश्न होते हैं। दूसरे नंबर 10 प्रश्न 2-2 नंबर के हैं। इनमें भी अधिकांश के उत्तर एक से दो लाइन में देना होता है। इसके बाद 3-3 नंबर के 5 प्रश्न और 5-5 नंबर के 3 प्रश्न होते हैं। इससे स्टूडेंट्स के लिए पासिंग नंबर हासिल करना आसान हो गया है। इसी कारण तीन साल में सबसे कम बच्चे वर्ष 2022 में फेल हुए हैं।

रिजल्ट अब और बेहतर होंगे
एजुकेशन एक्सपर्ट डॉ. एसएन राय ने बताया कि CBSE का परीक्षा पैटर्न स्कोरिंग है। इसी कारण उनका रिजल्ट एमपी बोर्ड से हमेशा बेहतर रहता था। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने भी परीक्षा के पैटर्न को स्कोरिंग कर दिया है। इससे पासिंग नंबर लाना आसान हो गया। खास बात यह है कि इससे फेल होने वालों की संख्या कम होगी। शॉर्ट और ऑब्जेक्टिव प्रश्न होने से क्वालिफाई नंबर लाना आसान हो गया है।

आने वाले समय में एमपी बोर्ड का रिजल्ट और बेहतर होगा। बच्चों को ज्यादा पढ़ने की जगह जरूरी नोट्स और बुक्स पढ़ने पर फोकस करना होगा। पेपर को रटने की जगह कॉन्सेप्ट बेस किया गया है। वर्ष 2022 में पहली बार इसे लागू किया गया। आने वाले समय में इसके परिणाम और बेहतर रहेंगे।

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