आगरा में डॉक्टरों ने एक छात्र के कटे हुए हाथ को वापस जोड़ने का कारनामा किया है। हाथ जोड़ने के लिए डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे तक सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों का दावा है कि उत्तर प्रदेश में इस तरह का सफल ऑपरेशन बड़ी कामयाबी है। छात्र का हाथ जुड़ने से उसके परिवारवालों की खुशी का ठिकाना नहीं है। डॉक्टर ने बताया कि हाथ को जोड़ना बहुत मुश्किल था।
हाथ एक्सीडेंट में कट गया था
आगरा के डौकी निवासी 12वीं के छात्र रोहित यादव का 23 अप्रैल को एक्सीडेंट हो गया था। इसमें उसका हाथ कोहनी से बिल्कुल अलग हो गया था। सूचना पर उसके परिजन छात्र को कई अस्पताल में ले गए। मगर, वहां पर छात्र को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। परिजन रोहित को एसआर हॉस्पीटल में लेकर गए। वहां पर प्लास्टिक सर्जन डॉ. ओमकांत गुप्ता और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक गोयल को बुलाया गया। दोनों डॉक्टर ने कटे हुए हाथ की जांच करने के बाद ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन के लिए आगरा के तीन प्रमुख प्लास्टिक सर्जन डॉ. ओमकांत गुप्ता, डॉ. अजय सिंघल, डॉ. मनीष शर्मा और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक गोयल ने एक साथ ऑपरेशन करना शुरू किया। सुबह 11 बजे शुरू हुआ ऑपरेशन रात नौ बजे तक चला।
ऑपरेशन ऐसे होता है
डॉ. ओमकांत गुप्ता ने बताया कि रिइंप्लाइंटेशन सर्जरी में माइक्रो सर्जरी का अनुभव और विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है। इस तरह के ऑपरेशन में सबसे पहले क्षतिग्रस्त मांस, विभिन्न प्रकार की नसें, त्वचा और हड्डी की बहुत बारीकी से सफाई की जाती है और उन्हें हटाया जाता है। इसके बाद सबसे पहले हड्डी की प्लेटिंग और नेलिंग की जाती है। फिर मांस और खून की नसों से अन्य नसों और त्वचा को जोड़ा जाता है।
ऑपरेशन में समय का महत्व
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने बताया कि अंग कटने वाले ऑपरेशन में समय का विशेष महत्व है। कटा हुआ अंग छह घंटे के अंदर विशेषज्ञ के पास या हॉस्पीटल में आ जाना चाहिए। कटे हुए अंग को चार डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है। कटे हुए अंग को एक दम बर्फ में नहीं रखना चाहिए, ऐसा करने पर मांस जमने से परेशानी हो सकती है। इसके अलावा कटे हुए अंग से खून बंद करने के लिए भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
इस केस में घायल दो घंटे में हॉस्पीटल आ गया था। ऐसे में समय रहते ऑपरेशन होने के कारण सफलता मिली। ऑपरेशन के 14 दिन होने के बाद अब मरीज की हालत में सुधार हुआ।
एक साल तक का समय लगेगा
डॉक्टर ने बताया कि रोहित के ऑपरेशन के बाद अच्छे परिणाम आ रहे हैं। खून की नसें काम कर रही हैं। अभी उसे विशेष निगरानी में रखा गया है। हाथ को पूरी तरह से सही होने में एक से दो साल तक का समय लगेगा। इसके लिए फिजियोथैरेपी की जरूरत पडे़गी। प्लास्टिक सर्जन डॉ. ओमकांत गुप्ता का कहना है कि ऐसे केस में अधिकांश लोग उम्मीद खो देते हैं, लेकिन सही समय पर सही इलाज के जरिए कटे अंग को जोड़कर लोगों की जिंदगी में खुशियां वापस लाई जा सकती हैं।