अज़मते वालदैन कांफ्रेंस में मां-बाप की सेवा पर हुआ बखान – खुसूसी मेहमान के तौर पर सैयद अनवारुल्लाह शाह सफी ने की शिरकत
फतेहपुर। शुक्रवार की रात मां-बाप (वालदैन) के सवाब व उनकी शान में एक जलसा आयोजित हुआ। जिसमें शायरों ने मां बाप व उनकी अज़मत के कसीदे गढ़े तो तकरीर में मां बाप के दर्जे व उनकी शख्सियत पर नसीहत दी गई।
खागा तहसील क्षेत्र के सरवरपुर निदौरा गांव में हाफिज़ व क़ारी ज़ीशान सफ़वी द्वारा अपनी वालदा (मॉं) के इंतेकाल के बाद बीसवाँ के फ़ातिहाख्वानी के दौरान शुक्रवार की शाम मां-बाप के सवाब व उनकी अज़मत पर एक दिवसीय अज़मते वालदैन कांफ्रेंस प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से शहजादा-ए-हुज़ूर असहाबे मिल्लत, पीरे तरीकत, रहबरे राहे शरीयत, मुबल्लिगे इस्लाम अल्हाज़ हुज़ूर सय्यदी सरकार सय्यद अनवार उल्ला शाह सफी चिश्ती साहब किबला सज्जादा नशीन खानकाहे आलिया हबीबिया असरारिया पुरखाश शरीफ कौशाम्बी ने शिरकत किया। जिनके दीदार के लिए इलाके के कई सैकड़ा लोग उपस्थित होकर जलसा को कामयाब बनाया। वहीं कार्यक्रम को संबोधित (खेताब) करने के लिए नवास-ए-हुज़ूर असहाबे मिल्लत, शेरे कौशाम्बी, नासिरे मसलके आला हजरत, अल्लामा व मौलाना सैय्यद आमिर मियां सफवी मिस्बाही किबला पुरखाश शरीफ़ कौशाम्बी ने क़ुरआन व हदीस के हवाले से अल्लाह के बाद मां-बाप का दर्ज़ा बताते हुए अपने-अपने मां-बाप से मोहब्बत करने की नसीहत दी। कार्यक्रम में देश के नामचीन शायरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कार्यक्रम में नात-ओ-मनकबत से लोगों का मन जीतते रहे। शायरों में खासकर मज़हर रज़ा इलाहाबादी, शकील रहबर चौनपुरी, मिर्ज़ा ज़ीशान सफ़वी के अलावा रियाज़ अहमद, शम्स आलम, साबिर, तालिब, अरशद, कलाम, आफताब रज़ा, सलमान, कलीम, रिज़वान, नोमान, आसिफ़, रुकुनुद्दीन, मौलवी नुरुल हसन सहित कई अन्य उलेमा व शायरों ने वालदैन के हवाले से अपनी बात रखी। कार्यक्रम में मुकर्रिरे सानी के तौर पर नवासा-ए-हुज़ूर असहाबे मिल्लत हज़रत सैयद फरहान सफी मिस्बाही व निज़ामत हाफिज़ नफीस अहमद हबीबी द्वारा निभाई गई।