पूजास्थल पर अवैधानिक आदेश के खिलाफ कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन – सरकार के सहयोग से सद्भाव बिगाड़ना चाह रहा न्यायपालिका का एक हिस्सा

फतेहपुर। कुछ निचली आदलतों द्वारा पूजास्थल पर अवैधानिक दिए जा रहे आदेश के खिलाफ अल्पसंख्यक विभाग के कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपकर कहा कि न्यायपालिका का एक हिस्सा सरकार के साथ मिलकर देश का सदभाव बिगाड़ने का प्रयास कर रहा है। ऐसे जजों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष बाबर खान व प्रदेश सचिव मिस्बाउल हक की अगुवाई में कांग्रेसी कलेक्ट्रेट पहुंचे और राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपकर बताया कि संसद ने निम्रित पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करते हुए बनारस की एक निचली आदलत ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे कराने का निर्देश दिया है। बताया कि बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल फैसले मंे भी सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। सनद रहे कि संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह अवैधानिक फैसला देने वाले सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर का आचरण अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। ज्ञापन में कांग्रेसियों ने कहा कि एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में आगरा के ताजमहल के मंदिर होने के दावे वाली याचिका दायर की गई। इससे पहले भी 16 नवंबर 2021 को पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए आगरा की जिला अदालत ने ताजमहल के मंदिर होने के दावे वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था जबकि 20 फरवरी 2018 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ऐसी ही एक अन्य मांग के जवाब में आगरा की जिला अदालत में शपथ पत्र देकर स्पष्ट किया था कि ताजमहल शाहजहां द्वारा निर्मित मकबरा है न कि शिव मंदिर। ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायपालिका का एक हिस्सा सरकार के सहयोग से देश के सदभाव को बिगाड़ना चाहता है और इसके लिए वह पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन कर रहा है। मांग किया कि ऐसे जजों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए ताकि लोकतंत्र की बुनियाद संस्थाओं के पृथकीकरण का सिद्धांत बचा रहे। इस मौके पर डा. अफजाल, अंकित पटेल, आसिफ खां, राम किशोर, दिलशाद आदि मौजूद रहे।

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