लखनऊ में पबजी के लिए नाबालिग बेटे द्वारा मां की हत्या के बाद गेम के चक्कर में एक और बेटे के हिंसक हो जाने का मामला सामने आया है। सिक्योरिटी गार्ड के इस बेटे ने 55 हजार रुपये के मोबाइल की जिद की। पिता ने बेटे को समझाया। माली हालत का हवाला दिया। मगर बेटा जिद पर अड़ा रहा। घर में बर्तन, कुर्सी-मेज तोड़ने लगा। बेटे की जिद के आगे झुके पिता ने 24 घंटे में मोबाइल दिलाने का वादा किया।हुआ एक और बेटा, सिक्योरिटी गार्ड पिता से कर्ज पर खरीदवाया 55 हजार का मोबाइल
उधार और किस्त से बेटे को मनपसंद मोबाइल दिलाया। तब बेटे का गुस्सा शांत हुआ। दोस्तों की सलाह पर पिता बेटे को लेकर केजीएमयू मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओपीडी में पहुंचा। इलाज से बेटे की तबीयत में सुधार है। सीतापुर बिसवां निवासी 45 वर्षीय सुरेश (बदला नाम) अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड पद पर तैनात है। उसे सात से आठ हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। पत्नी और इकलौते बेटे संग वह रकाबगंज में किराए पर रहता है।
सुरेश के मुताबिक कोविड की वजह से ऑनलाइन क्लास चल रही थी। लिहाजा छोटा फोन लाकर दिया। पढ़ाई संग बेटा कब मोबाइल पर गेम खेलने लगा। उसने अपने दोस्तों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। देर रात तक पढ़ाई के नाम पर मोबाइल गेम खेलता था। एक दिन उसने बड़ी कंपनी के मोबाइल की जिद की। पहले तो पिता ने समझाया। पर, वह मानने को तैयार नहीं हुआ। बच्चा उग्र होने लगा। तोड़-फोड़ शुरू कर दी। मरने-मराने की बात कही। थक हार कर पिता ने दोस्तों से कुछ रुपये उधार लिए। दुकान पर उसने 55 हजार का मोबाइल पसंद किया। कम पैसे का मोबाइल लेने से मनाकर दिया। दुकान पर झगड़ने लगा। कुछ पैसे नगद व लोन लेकर मोबाइल दिलाया। दोस्तों ने बेटे को डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी। अगले दिन सुरेश बेटे को लेकर केजीएमयू मानसिक रोग विभाग में डॉ. पवन कुमार गुप्ता की ओपीडी में पहुंचे। डॉ. पवन ने बताया कि बच्चा गेम व ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसआर्डर (ओसीडी) की चपेट में है।