श्रद्धा से मनाया गुरु हरगोविंद साहिब जी का 427 वां प्रकाश पर्व – लंगर में सिक्ख समुदाय के लोगों ने चखा प्रसाद
फतेहपुर। शहर के रेल बाजार स्थित गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बुधवार को गुरू हरगोविंद साहिब जी का 427 वां प्रकाश पर्व प्रधान पपिंदर सिंह की अगुवाई में श्रद्धा के साथ मनाया गया। प्रातःकाल सबद कीर्तन हुआ तत्पश्चात गुरूद्वारा परिसर में ही लंगर का आयोजन किया गया। जिसमें समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए लंगर का प्रसाद चखा।
ज्ञानी गुरु वचन सिंह ने बताया कि गुरू हरगोविंद सिखों के छठें गुरू थे। साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोविंद साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। गुरु हरगोविंद साहिब की शिक्षा दीक्षा महान विद्वान भाई गुरदास की देखरेख में हुई। गुरु जी को बराबर बाबा बुड्डा जी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। गुरु हरगोविंद साहिब ने अपने पिता गुरु अर्जुन देव की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, बल्कि उनके द्वारा जो महान कार्य प्रारम्भ किए गए थे, उन्हें सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए आजीवन अपनी प्रतिबद्धता भी दिखलाई। गुरु हरगोविंद ने शस्त्र एवं शास्त्र की शिक्षा भी ग्रहण की। वह महान योद्धा भी थे। विभिन्न प्रकार के शस्त्र चलाने का उन्हें अद्भुत अभ्यास था। वह चाहते थे कि सिख कौम शान्ति, भक्ति एवं धर्म के साथ-साथ अत्याचार एवं जुल्म का मुकाबला करने के लिए भी सशक्त बने। वह अध्यात्म चिंतन को दर्शन की नई भंगिमाओं से जोड़ना चाहते थे। गुरु-गद्दी संभालते ही उन्होंने मीरी एवं पीरी की दो तलवारें ग्रहण की। मीरी और पीरी की दोनों तलवारें उन्हें बाबा बुड्डा जी ने पहनाई। यहीं से सिख इतिहास एक नया मोड लेता है। उन्होने सिक्ख जीवन दर्शन को सम-सामयिक समस्याओं से केवल जोडा ही नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवन दृष्टि का निर्माण भी किया जो गौरव पूर्ण समाधानों की संभावना को भी उजागर करता था। सिख लहर को प्रभावशाली बनाने में गुरु जी का अद्वितीय योगदान रहा। इस मौके पर लाभ सिंह, दर्शन सिंह, जतिंदर पाल सिंह, सतनाम सिंह, सतपाल सिंह, सिमरन सिंह, चरनजीत सिंह, गुरमीत सिंह, रिंकू, बंटी, सोनी, सहज, राजू, अनुराग श्रीवास्तव के अलावा महिलाओं में मंजीत कौर, हरविंदर कौर, नवतेज कौर, प्रभजीत कौर, वरिंदर कौर उपस्थित रहीं।