भगवान की भक्ति से ही मिलती है तृप्ति

हरदोई ब्लाक बावन के अन्तर्गरत करनपुर श्री अवधेश शास्त्री जी महाराज की श्रीमद्भागवत सांसरिक वस्तुओ से तृप्ति नही मिल सकती मनुष्य को वास्तविक तृप्ति चाहिए तो उसे श्रीमद्भागवत की शरण मे आना ही होगा। भगवान के अलावा किसी मे तृप्ति नही है। जीव की दूसरी प्यास ही श्री राधा है क्योकि भगवान की प्यास ही श्री राधा है। यह उद्द्गार सोमवार को करनपुर ग्राम चल रही श्रीमद्भागवत कथा में श्री अवधेश शास्त्री जी महाराज व्यक्ति किए। उन्होंने भगवान की आराधना के बारे में बताते हुए कहा कि यहां। वहां भटकने से कुछ नही होगा। जो परमात्मा की भक्ति करता है वही अमर होता है। भगवान उसे अपनी शरण प्रदान करते है। और महाराज जी एक कथा सुनाते हुए कहा कि एक संत अपनी सोने की गिन्नियों को सँभालकर रखना चाहता। था इस कारण उसने हलवे के साथ एक एक करके सारी गिन्नियां खा ली और मर गया। इससे अभियान यह है कि व्यक्ति को तृप्त होना चाहिए दुनिया की मोह माया छोड़कर भगवान की भक्ति में तृप्ति है।  भगवान को सुनने से मिलती है मोछ श्री अवधेश शास्त्री जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा स्वयं कृष्ण का रूप है। इससे सुनने मात्र से ही भगवान प्रसन्न होते है और श्रोता को मोछ मिलता है।

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