‘सास कहती- बेटी हुई तो मार दूंगी, दादी ने ही 4 माह की बेटी को पटककर मार डाला

 

मेरठ, मेरी शादी को ढाई साल हो गए। शादी के एक महीने बाद जैसे ही ससुराल में बच्चे को लेकर बात शुरू हुई, मेरी सास ने साफ कहा- लड़का ही चाहिए। रिश्तेदारों के सामने भी खुलकर बोल देती। कहती- अगर भूल से भी लड़की पैदा की तो समझ लेना, उसे भी मार दूंगी तुझे भी नहीं छोड़ूंगी। उसने जो कहा वही किया।’

यह दर्द है मेरठ की उस बेबस मां का जिसने 4 महीने की बेटी को खो दिया। 14 जून को सास ने मासूम पोती को जमीन पर पटक दिया। इससे बच्ची की मौत हो गई।

लिसाड़ीगेट इलाके में रहने वाली फौजिया ने कहा, ‘मैंने साफ इनकार कर दिया था कि अपने अम्मी-अब्बू से अब ससुराल के लिए और पैसे नहीं मागूंगी। इसी बात पर झगड़ा हुआ। शौहर ने मुझे पीटा और सास ने मेरी नन्हीं जान की हत्या कर दी। मेरी बद्दुआ है कि अल्लाह इस पूरे खानदान में कभी चिराग नहीं जलाएगा।’

फौजिया ने कहा, ‘मेरी सास कहती थी कि जिस रोज तूने बेटी पैदा कर दी, समझ लेना घर से तेरा दाना-पानी खत्म। जैसे ही सास ने जन्म होने के बाद मेरी बेटी को बगल में लेटे देखा वो सुलग-सी गई थी। सास उसी दिन मेरी बेटी को मार देती, लेकिन किसी तरह मैंने उसे बचा लिया, लेकिन ज्यादा दिन नहीं बचा पाई। 14 जून को मेरी नन्हीं-सी जान अपनी ही दादी के हाथों मारी गई।’

फौजिया ने बताया- ’14 जून को रोजाना की तरह सास और शौहर मुझे दहेज के लिए ताने दे रहे थे। ताने के साथ बात इतनी बढ़ी कि शौहर मुझे पीटने लगा। मैंने भी कह दिया कहां से ले आऊं दहेज में कार? अब्बू के पास कहां से इतने रुपए आएं कि तुम्हें कार दे दें। अभी बेटी के होने पर 2 लाख का सामान और 2 लाख नगद, कुल 4 लाख रुपए दिए थे।’

‘बस इतना कहते ही शौहर मुझे पीटने लगा। आग-बबूला हो गया। बोला- मुंह चलाती है, गाली देने लगा। सास भी कमरे में घुस आई। पहले मेरे बाल पकड़े, फिर मुझे जमकर पीटा। बाद में बच्ची को बिस्तर से उठाकर पटक दिया। वो नन्हीं सी जान ये मार नहीं सह पाई और खत्म हो गई।’

फौजिया कहती हैं, ‘सास के जुल्म मैं बयां नहीं कर सकती। मुझे ऐसा दिन याद नहीं जिस रोज मेरी सास ने मुझसे दहेज न मांगा हो। शादी के सातवें दिन से सास दहेज के लिए ताने देने लगी। मेरे अम्मी-अब्बू ने दहेज में हर सामान दिया। नगदी भी रखी, लेकिन सास इतनी लालची है कि इसकी भूख शांत नहीं होती। इसे और दहेज चाहिए।’

‘एक साल तक तो मैं किसी तरह ताने सुनकर काम चलाती रही। फिर कहने लगी कि मायके से शौहर के लिए बुलेट मंगा ले। शौहर को जब सास की बातें बताई तो वो भी अपनी मां के पक्ष में हो गया। दोनों मिलकर मुझे मारते-पीटते। क्लेश से तंग आकर किसी तरह अम्मी-अब्बू ने बुलेट भी दे दी, लेकिन अब सास कार चाहती थी। कार कहां से लाती?’

घर की अकेली बच्ची भी उसे रास नहीं आई
फौजिया ने कहा, ‘मेरी सास लड़कियों से इतनी नफरत करती है, जिसकी हद नहीं। ससुराल की मैं सबसे बड़ी बहू हूं। छोटे तीन देवर और एक ननद हैं। ननद भी खानदान में अकेली लड़की है। अब मेरी बेटी पूरे खानदान में पहला बच्चा और वो भी लड़की थी। यही बात सास को खटकती थी कि पहला बच्चा बेटी कैसे पैदा हो गई। बेटा होना था। लड़कियों को दहेज देना पड़ता है, इसलिए सास नहीं चाहती कि घर में लड़की पैदा हो। लड़के होंगे तो दहेज मिलेगा। इसलिए खानदान में कोई लड़की नहीं है।’

‘शौहर भी सास के सामने कुछ नहीं कहता। पहले मैकेनिक था, अब तो एक साल से घर में फ्री बैठा है। बस मुझे पीटता है। जब शौहर से मैंने देवर की गलत निगाह की बात कही तो उसने मुझे पीटा। दहेज की बात कही तो भी मारता और बच्ची के मरने के बाद मुझे जबरन तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया। तब से यहीं मायके में हूं।’

मामले में फौजिया ने सास के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी है। सास की अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

  

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