बुर्का और बिकिनी से बनी बुर्किनी, स्विमिंग पूल और बीच पर नहाने के लिए मुस्लिम महिलाओं की ड्रेस, जिसके 40% गैर-मुस्लिम खरीदार
फ्रांस के शहर ग्रेनोबल ने स्विमिंग पूल में मुस्लिम महिलाओं को बुर्किनी पहनने की इजाजत दे दी थी। इस फैसले पर वहां खूब हंगामा हुआ, मामला पहले लोअर कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 21 जून के फैसले में अदालत ने ग्रेनोबल शहर के फैसले को रद्द करते हुए बुर्किनी पर बैन को बरकरार रखा है। इसके बाद बुर्किनी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।
बुर्का और बिकिनी से बनी फुल बॉडी स्विमसूट
बुर्किनी एक ऐसा फुल बॉडी स्विमसूट है, जिसमें चेहरे, हाथों और पैरों को छोड़कर बाकी सब ढंका रहता है। बुर्किनी शब्द ‘बुर्का’ और ‘बिकिनी’ शब्दों को मिलाकर बना है।
ये ड्रेस काफी हद तक बुर्के से मिलती-जुलती है, लेकिन बुर्के के उलट इसमें चेहरा खुला रहता है। बुर्किनी का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाएं काफी हद तक इस्लाम के नियमों के दायरे में रहकर स्विमिंग पूल में नहाने के लिए करती हैं।
ऑस्ट्रेलियाई फैशन डिजाइनर के दिमाग की उपज है बुर्किनी
बुर्किनी के अस्तित्व में आने की कहानी भी बेहद रोचक है। बुर्किनी को सबसे पहले साल 2004 में लेबनान मूल की एक ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिम फैशन डिजाइनर अहेदा जानेटी ने डिजाइन की थी।
जानेटी ने बुर्किनी डिजाइन करने के पीछे की कहानी द गार्जियन के लिए लिखे अपने एक लेख में बताई थी। जानेटी का कहना था कि एक बार मैंने अपनी भतीजी को हिजाब पहनकर नेटबॉल खेलते देखा तो मुझे मुस्लिम लड़कियों के लिए एक ऐसी ड्रेस बनाने का ख्याल आया, जो स्पोर्ट्स के लिहाज से आरामदायक हो। जो वेस्टर्न लाइफ स्टाइल को अपनाने के साथ ही मुस्लिम लड़कियों की जरूरतों को भी पूरा करती हो। बस यहीं से जानेटी के दिमाग में बुर्किनी का कॉन्सेप्ट आया।
एक दफा जानेटी ने द गार्जियन के लिए अपने एडिटोरियल में लिखा था, ”जब मैंने 2004 में बुर्किनी जिजाइन की, तो इसे महिलाओं को आजादी देने के लिए बनाया था, उसे छीनने के लिए नहीं।”
वैसे तो burkini और burqini शब्दों के कॉपीराइट जानेटी की कंपनी अहिदा (Ahiida) के पास हैं, लेकिन अब ये शब्द इतना लोकप्रिय हो चुका है कि बुर्किनी शब्द का इस्तेमाल उससे मिलते-जुलते आम स्विमसूट्स के लिए भी धड़ल्ले से होता है।
बुर्किनी पर 2016 में फ्रांस ने लगाया था बैन
बुर्किनी पर सबसे पहले 2016 में फ्रांस ने बैन लगाया था, इस बैन से पहले ही जानेटी की कंपनी अहिदा दुनिया भर में 7 लाख से ज्यादा बुर्किनी बेच चुकी थी। मुस्लिम महिलाओं के साथ ही ये ड्रेस गैर-मुस्लिमों और कैंसर पीड़ितों के बीच भी काफी लोकप्रिय हुई।
जानेटी ने 2016 में Politico को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि बुर्किनी के करीब 40% खरीदार गैर-मुस्लिम हैं।
जानेटी के मुताबिक, हमने बुर्किनी को यहूदियों, हिंदुओं, ईसाइयों और शरीर की विभिन्न समस्याओं से पीड़ित महिलाओं को बेचे हैं। यहां तक पुरुष भी इसे खरीदना चाहते हैं।
फ्रांस में 2016 से ही है बुर्किनी पर बैन
फ्रांस ने अपनी धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए धार्मिक प्रतीकों के सार्वजनिक इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। फ्रांस में पगड़ी, हिजाब, सिर की टोपी और क्रूसीफिक्स या क्रॉस के निशान जैसे धार्मिक प्रतीकों के स्कूलों और ऑफिसों समेत सार्वजनिक जगहों पर इस्तेमाल पर रोक है।
फ्रांस ने स्कूलों में 2004 में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। 2011 में फ्रांस ने बुर्का और नकाब पर बैन लगाया।
अगस्त 2016 में सबसे पहले फ्रांस के कान्स शहर ने सार्वजनिक स्विमिंग पूल में बुर्किनी के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। इसके कुछ दिनों बाद फ्रांसीसी शहर नीस में समुद्र किनारे एक मुस्लिम महिला से पुलिस द्वारा जबरन बुर्किनी उतरवाने को लेकर खूब बवाल मचा था।
कुल मिलाकर करीब 30 फ्रांसीसी शहर स्विमिंग पूल में बुर्किनी के इस्तेमाल पर बैन लगा चुके हैं।
बुर्किनी पर बैन के पीछे फ्रांस के दो तर्क
बुर्किनी बैन के पीछे फ्रांस में दो तर्क प्रमुखता से दिए जाते हैं…
1. ये स्विमिंग पूल के कपड़ों को लेकर बनाए नियमों का उल्लंघन है
2. ये उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
फ्रांस सरकार ने स्विमिंग पूल में किस तरह के स्विमसूट पहने जा सकते हैं, इसे लेकर एक सख्त नियम बनाया है। फ्रेंच अथॉरिटी का दावा है कि सार्वजनिक स्विमिंग पूल में कपड़ों को लेकर सख्त नियम स्वास्थ्य कारणों से बनाए गए हैं।
इस नियम के तहत वहां स्विमिंग कैप पहनना कंपलसरी है। पुरुषों को बैगी स्विम ट्रंक (हाफ पैंट), बैगी स्विमसूट, वेटसूट्स या सन प्रोटेक्शन सूट्स पहनने की अनुमति नहीं है।
बुर्किनी के विरोधी इसे ‘चरमपंथी इस्लामिक पोशाक’ कहते हैं
कई मुस्लिम महिलाओं ने बुर्किनी बैन को लेकर फ्रांस के कोर्ट के आदेश की आलोचना की है। वहीं फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डार्मानिन ने इसे सेक्लुरिज्म की जीत बताया है।
हालांकि, बुर्किनी का फ्रांस में विरोध कोई नई बात नहीं है। 2016 में कान्स के मेयर डेविड लिसनार्ड ने बुर्किनी को चरमपंथी मुसलमानों की पोशाक कहा था।
बुर्किनी के आलोचक इसे फ्रांसीसी समाज में अलगाववादी दृष्टिकोण पैदा करने की कोशिश के रूप में देखते हैं। इनका तर्क है कि बुर्किनी की इजाजत देने से मुस्लिम महिलाओं पर इसे पहनने का दबाव पड़ता है।
दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन बुर्किनी को “इस्लामिक प्रचार की पोशाक” बताते हुए इसकी निंदा कर चुकी हैं।
वहीं बुर्किनी के समर्थकों का कहना है कि महिलाओं के पास यह विकल्प होना चाहिए कि वे चाहें तो अपने शरीर को ढंककर रख सकती हैं। इसका मतलब धार्मिक चरमपंथ नहीं है।
साउथ एशिया में बुर्का तो यूरोप में नकाब का है चलन
बुर्का एक तरह का घूंघट होता है, जिसे ज्यादातर अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया की मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं। बुर्का कपड़े का एक सिंगल पीस होता है, जो पूरे शरीर को ढंकता है। इसमें चेहरे के पास आमतौर पर केवल एक पतली जाली होती है, जिससे महिला बाहर देख सकती है।
वहीं यूरोप और खाड़ी देशों में बुर्का के बजाय नकाब ज्यादा चलन में है। नकाब भी एक तरह का घूंघट होता है, जो आम तौर पर चेहरे के निचले आधे हिस्से को ही ढंकता है और इसमें आंखों के आसपास की जगह खुली रहती है।
वहीं सिर, कान और गले को ढंकने वाले स्कार्फ को हिजाब कहते हैं, इसमें चेहरा खुला रहता है। अधिकतर मुस्लिम देशों में इसका इस्तेमाल होता है।