मरी लड़की को जिंदा करने के लिए तंत्र-मंत्र, 6 महीनों से परिवार पीता था केवल गंगाजल, यू-ट्यूब पर देखते थे धार्मिक चैनल

 

प्रयागराज में एक मरी हुई लड़की को तंत्र मंत्र के जरिए जिंदा करने की कोशिश की जा रही थी। पांच दिन से शव को घर में छिपाकर रखा गया था और तंत्र क्रियाएं की जा रही थीं। घर से बदबू आने पर ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं, परिवार के 11 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है।

 लड़की की तबीयत काफी समय से खराब चल रही थी। परिवार के लोग उसे गंगाजल पिलाकर और तंत्र-मंत्र के जरिए ठीक करने का प्रयास कर रहे थे।

मामला करछना थाना क्षेत्र के डीहा गांव का है। अभय राज यादव (52) की 5 बेटियां और 3 बेटे हैं। कुछ दिनों पहले दो बेटियों के बच्चे भी घर में आए हुए थे। अभय की छोटी बेटी अंतिमा (14) की 24 जून को रहस्यमयी हालत में मौत हो गई थी।

मृतका के परिजन उसे अंतिम संस्कार के लिए नहीं ले गए। परिवार वाले उसे जिंदा करने के नाम पर तंत्र-मंत्र करते रहे। ग्रामीणों का कहना है कि लड़की के घरवालों को उम्मीद थी कि भगवान आएंगे और बेटी फिर जिंदा होगी।

खाने की जगह खा रहे थे लाई चना
चचेरे भाई राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया, “अभय के हिस्से में 8 बीघा खेत था, पर पिछले एक साल से खेती नहीं की जा रही थी। पिछले 5 महीने से सरकारी गल्ले की दुकान से अनाज भी नहीं लाया गया था। उन्होंने बताया कि हालात यह थे कि घर में खाने को कुछ नहीं था। बाजार से लाई चना लाकर खाते थे। पानी की जगह गंगाजल पीते थे। स्थिति इस कदर खराब हो चुकी थी कि 5 भैंसें भी भूख के कारण मर गईं।”

राजेंद्र प्रसाद ने बताया, “अभय की तीसरी बेटी बीनू की शादी डेढ़ साल पहले हुई थी। शादी के बाद तबीयत खराब रहने लगी। 10 दिन बाद वह ससुराल से वापस आ गई। वह कहती थी कि उसके ऊपर भगवान आते हैं, जो उसकी बात मानेगा, वह उसकी सभी समस्या खत्म कर देगी।” अभी बीनू का इलाज अस्पताल में चल रहा है।

गांव के लोग मदद को जाते तो चापड़ लेकर दौड़ा देते
उन्होंने कहा, “इसी अंधविश्वास में पूरा परिवार आ गया। वह यू-ट्यूब चैनल पर धार्मिक चीजें देखते थे। परिवार का मानना था कि उनके जीवन में जो भी कष्ट है उसको भगवान खत्म कर देंगे। गांव के लोग जब मदद के लिए जाते तो परिवार चापड़ लेकर दौड़ा लेता था। रिश्तेदारों से संपर्क नहीं रखते थे।”

अंधविश्वास के चक्कर में छोड़ दी नौकरी
राजेंद्र ने बताया, “परिवार अंधविश्वास में इतना डूब चुका था कि घर के मेन गेट में ताला लगा दिया गया था। सभी खिड़की के रास्ते घर में आते-जाते थे।” उन्होंने बताया, “अभय कृषि फर्म में क्लर्क था। अंधविश्वास के चक्कर में नौकरी छोड़ घर आ गया। उसका बड़ा बेटा आर्यन भी नौकरी करता था, उसे भी गांव बुला लिया। अभय का मानना था कि वह पूजा-पाठ के बल पर अपने पट्टीदारों को खत्म कर देगा।”

परिवार के 11 लोग अस्पताल में भर्ती
पुलिस ने परिवार के 11 लोगों को अस्पताल में एडमिट कराया है। केवल अभयराज और उसकी पत्नी विमला ही अभी कुछ ठीक हैं। पुलिस के मुताबिक ये लोग मानसिक रूप से पूरी तरह से बीमार हैं। सभी लोग खाना सही ढंग से नहीं खा रहे थे।

पुलिस ने बताया कि गांव से एक किमी दूर गंगा नदी है। अभयराज पिछले 6 महीने से रोज गंगा स्नान करने जाता था। फिर वहां से गैलन में पानी भरकर लेकर आता। इसके बाद परिवार के सदस्य पूरे दिन उसी पानी को पीते रहते।

करछना थानाध्यक्ष टीका राम वर्मा का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही किशोरी की मौत का कारण पता चलेगा।

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