नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन पर उदयपुर में जो कुछ हुआ, उसके घाव सूखे भी नहीं थे कि महाराष्ट्र के अमरावती से एक और वीभत्स घटना का खुलासा हो गया। अमरावती में एक केमिस्ट की भी इसीलिए हत्या की गई, क्योंकि उसने नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था।
हैरत इस बात की है कि उमेश कोल्हे नामक इस केमिस्ट की हत्या में उसका मुस्लिम दोस्त भी शामिल था। यह जघन्य हत्या उदयपुर की घटना से भी पहले हो चुकी थी। लेकिन इसका पता बड़े दिन बाद चला, क्योंकि 21 जून को जब यह हत्या हुई, महाराष्ट्र का पूरा निजाम मुंबई से वाया दिल्ली गुवाहाटी तक सरकार-सरकार खेल रहा था।
सत्ता के खेल में गाफिल जनप्रतिनिधियों की इसी लोलुपता ने देश को इस हालत में पहुंचाया है, जहां राजनीति केवल निजी हित साधने का हथियार बनकर रह गई है। सवाल यह उठता है कि नित नई जघन्य घटनाओं से हम उस दौर में पहुंच गए हैं, जहां सोचना पड़ रहा है कि दूसरी कौम के व्यक्ति को दोस्त भी बनाएं या नहीं?
बहरहाल, इन घटनाओं पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के बयान ने भारतीय जनता पार्टी को नया मुद्दा दे दिया है। आरिफ मोहम्मद ने मदरसों की शिक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यहां ईश निंदा करने वाले का गला काटने वाला कानून बच्चों को पढ़ाया जाता है। हैदराबाद में चल रही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यह फैसला लिया गया है कि वह अब सर कलम करने के इरादों की नर्सरी के खिलाफ मोर्चाबंदी करेगी। साफ-साफ नहीं कहा गया है, लेकिन इस तरह की नर्सरी का सीधा सा मतलब मदरसे ही है। जिनकी तरफ आरिफ मोहम्मद ने इशारा किया था।
सही भी है अगर सिर कलम करने या गला काटने की शिक्षा कहीं दी जा रही है तो ऐसी शिक्षा को बंद क्यों न कर देना चाहिए। आखिर हम अपनी नई या आने वाली पीढ़ी को क्या और कैसी शिक्षा देना चाहते हैं? हर माता-पिता इस बारे में जब तक सचेत नहीं होंगे, सुधार नहीं आने वाला। हालांकि, भाजपा कार्यकारिणी के प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि उसकी तरफ से किसी धर्म विशेष के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी, लेकिन देश में सक्रिय राष्ट्र विरोधी तत्वों से कड़ा मुकाबला किया जाएगा।
भाजपा का कहना है कि आठ-दस राज्यों में पिछले कुछ सालों में कट्टरपंथ ने सिर उठा रखा है। ऐसे कट्टरपंथ से पार्टी पूरी तरह निपटेगी। अदालत तक जाना पड़ा तो जाएगी, लेकिन किसी हाल में कट्टरपंथ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा को अपने प्रस्ताव के पालन में यह सावधानी जरूर रखनी होगी कि उसका यह उद्देश्य गली-गली तक वेग रूप में न पहुंच जाए, वर्ना अराजकता जो फैलेगी, उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।
पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ज्ञानवापी मामले को लेकर कहा था कि ज्ञानवापी को उदाहरण मानकर हम हर गांव, हर गली की मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने लगें, यह ठीक नहीं है। इन मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए। निश्चित ही भाजपा भी भागवत के बयान से सहमत होगी ही