जब सौदे के लिये लाश की लगती रही बोलियां अवैध नर्सिंग होम के गलत इलाज ने विवाहिता की छींन ली ज़िंदगी बिना रजिस्ट्रेशन अस्पताल संचालन पर स्वास्थ्य महकमे पर उठ रहे सवाल

फ़तेहपुर। स्वास्थ्य महकमे के लचर रवैये से चलने वाला एक अवैध नर्सिंग होम विवाहिता के लिये उंस समय काल साबित हो गया जब नर्सिंग होम में गलत इलाज करने की वजह से महिला को जहां अपनी जान गंवानी पड़ गयी। वही परिजनों ने इलाज के नाम पर अस्पताल प्रसासन पर डेढ़ लाख रुपये हड़पने का आरोप लगाया। मामला तूल पकड़ता देख अस्पताल के लोग परिवार को रुपये का लालच देकर मामला रफ़ा दफा करवाने में लग गए। देर शाम तक दोनों पक्ष सदर कोतवाली में बैठे रहे।
बुधवार को शहर पक्का तालाब लखनऊ बाईपास चौराहे के निकट ओम नर्सिंग होम संचालित है। बिना किसी मानक व सुविधाओ के अभाव वाले अस्पताल का संचालन स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार सिंडिकेट के संरक्षण में होने के कारण किसी भी प्रसासनिक अफसर की आज तक निगाह नही पड़ सकी। जानकारी के अनुसार बांदा जनपद के तहसील बबेरू के ग्राम मरका निवासी मिन्जु देवी 28 वर्ष पत्नी मोती लाल पेट दर्द से पीड़ित थी और बबेरू के एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रही थी लेकिन आराम न होने पर निजी अस्पताल संचालक ने 25 जून को जनपद के पक्का तालाब स्थित ओम नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया जहां चिकित्सक ने आंत के ऑपरेशन के नाम पर 60 हजार रुपये जमा करवा लिये। और महिला का ऑपरेशन कर दिया। परिजनों का आरोप है कि धीरे-धीरे अस्पताल प्रशासन इलाज के नाम पर लगातार उंनसे पैसों की मांग करता रहा और डेढ़ लाख रुपये ले लिये। मरीज को किसी तरह आराम न मिलने पर और हालत खराब देखकर नर्सिंग होम संचालक ने पीड़ित को चार जुलाई को कानपुर के लिये रिफर कर दिया। कानपुर जनपद में चिकित्सकों को दिखाने पर गलत ऑपरेशन करने के कारण संक्रमण होने की जानकारी दी गयी। परिजनों की मिन्नत करने पर कानपुर के निजी अस्पताल में इलाज के लिये महिला को भर्ती कर एक बार फिर ऑपरेशन किया गया लेकिन बुधवार सुबह महिला की सांसें थम गई। विवाहिता की मौत की जानकारी होते ही परिजनों के बीच चीख पुकार मच गई। फ़तेहपुर जनपद में गलत इलाज होने से महिला की जान गंवाने से परिजन आक्रोशित हो उठे और शव को एम्बुलेन्स में रखकर कानपुर से फ़तेहपुर स्थित ओम नर्सिंग होम में ले लाये और हंगामा करने लगे। इधर अस्पताल में परिजनों के हंगामे की जानकरी मिलते ही चौकी इंचार्ज बाकरगंज सत्यपाल सिंह मय फोर्स के पहुच गये और हंगामा कर रहे लोगो को समझा बुझाकर सड़क से हटाया। काफी देर हंगामा करने के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा परिजनों को इलाज में खर्च हुए रुपये वापस करने का लालच देकर समझौते के लिये दबाव बनाया जाता रहा। दोनों पक्ष समझौते के लिये सदर देरशाम तक कोतवाली में बैठे रहे। इधर मृतक मिंजू देवी की छह वर्षीय बेटी शिवानी है जो किसी भी तरह की घटना से अंजान अपनी माँ के अस्पताल से जल्द ठीक होकर घर वापस आने की राह ताकती रही स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार की वजह से बिना किसी तरह के मानक पूरा किये जनपद में चलने वाले अवैध नर्सिंग होम की भरमार है। जहां आये दिन किसी न किसी मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ती है। जनपद में महिला की हुई मौत के बाद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत स्वास्थ्य विभाग के अफसर कुंभकरण की नींद में सोए हुए शायद उन्हें अभी और निर्दाेषों की जान गंवाने का इंतेज़ार है।

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