फ़तेहपुर। स्वतंत्रता संग्राम 1857 में अंग्रेज़ो के विरुद्ध बगावत कर अंग्रेज़ांे को जनपद से खदेड़ कर एक माह तक स्वदेशी शासन कायम करने वाले ब्रिटिश हुकूमत में डिप्टी कलेक्ट्रेट पद पर आसीन रहे हिकमत उल्ला का जनपद में कोई स्मारक न होने व आने वाली पीढ़ियों तक इतिहास कि जानकारी पहुचाने के लिये कन्या फॉउंडेशन ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौप कर देश का गौरव अमर शहीद डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खान का इतिहास संरक्षित करने व स्मारक बनाने की मांग किया।
बुधवार को कन्या फॉउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. आसिफ एडवोकेट की अगुवाई में सगठन के सदस्यों ने कलक्ट्रेट पहुचकर जिलाधिकारी को सम्बोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौपकर देश के पहले स्वतंत्रता आंदोलन के जनपद के अगुवा व राष्ट्रभक्ति की वजह से ब्रिटिश सरकार के डिप्टी कलेक्टर के पद को लात मार देने वाले हिकमत उल्ला खान के इतिहास को बताते हुए जनपद में उनके इतिहास की गौरवगाथा को नई पीढ़ी तक पहुचाने के लिये स्मारक बनाने व इतिहास संरक्षित करने की मांग किया। डीएम को भेजे ज्ञापन में बताया कि देश की आज़ादी की ख़ातिर ब्रिटिश सरकार में डिप्टी कलेक्टर के पद पर आसीन हिकमत उल्ला खान ने ब्रटिश सरकार से विद्रोह कर जनपद को अंग्रेज़ी सेना से मुक्त कर एक माह तक स्वदेशी सरकार चलाई थी बाद में अंग्रेज़ो की बड़ी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और फांसी देकर कोतवाली गेट पर उनके सर को लोगो को डराने के लिये लटका दिया गया। उनके नाम पर सदर कोतवाली में गेट आज भी बना हुआ है लेकिन इतिहास के तथ्य व स्मारक नही है। साथ ही बताया कि दो वर्ष पूर्व उनके नाम पर बने पार्क में भी स्मारक नही है। पीलू तले चौराहे के नामकरण का पत्थर भी टूट जाने के बाद बदला नही गया। उंन्होने शहीद डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खान के जीवन चरित्र का इतिहास पत्थरो पर अंकित करवाये जाने, स्मारक बनाये जाने व चौराहे का नाम करण काराये जाने की मांग किया। इस मौके पर धीरज बाल्मीकि, गाज़ी अब्दुल रहमान गनी, साहिल रज़ा, अरशद अहमद, इमरान अहमद, वासी अहमद, मोबीन, नूर मोहम्मद, सुरेश राही आदि मौजूद रहे।
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