170 करोड़ ठगने वाला इंटरनेशनल कॉल सेंटर, जानिए कैसे रहें सावधान

 

यूपी STF ने फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का खुलासा किया है। यह सेंटर नोएडा के सेक्टर-59 के B-36 में चल रहा था। मास्टरमाइंड समेत 10 आरोपी पकड़े गए हैं। गैंग में MBA और बी-कॉम डिग्री वाले लोग शामिल हैं। इन्होंने नोएडा में 50 लोगों की एक टीम बना रखी थी, जो अमेरिका से लेकर दुबई तक लोगों को ठगते थे। इनकी ठगी का तरीका बेहद शातिराना था। ये टेक्निकल सपोर्ट देने के नाम कंप्यूटर हैक कर लेते थे। अब तक विदेशियों से 170 करोड़ की ठगी कर चुके हैं।

खुद वायरस डालते थे, फिर टेक्निकल सपोर्ट के नाम चुराते थे डाटा
यूपी एसटीएफ के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, ”यह गैंग ने कई तरह की फर्जी कंपनियां बना रखी थी। कॉल सेंटर से विदेशी नागरिकों को वीओआईपी कॉल से संपर्क करते थे। फिर डीआईडी और क्यूब डायलर नाम के सॉफ्टवेयर के जरिए लैपटॉप-कंप्यूटर में वायरस डाल देते थे।”

”इसके बाद टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए लैपटॉप-कंप्यूटर को एनी डेस्क, टीम वीवर और अल्टा वीवर पर रिमोट पर लेते थे। इसके बाद पूरा सिस्टम उनके कंट्रोल में आ जाता था और एकाउंट को हैक कर लेते थे। विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन खाते और क्रेडिट कार्ड की डिटेल चुराकर किराए पर खाते में पैसा ट्रांसफर कर लेते थे।”

कॉलिंग ऐप है वीओआईपी
वीओआईपी का मतलब वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है। यह वॉट्सऐप एप कॉलिंग जैसे काम करता है। यानी इसकी रिकॉर्डिंग आदि नहीं होती है। यह इंटरनेट कॉलिंग है। इसमें कहां से किसे फोन किया जा रहा है। पता नहीं लगता है।

ये हैं पढ़े लिखे शातिर ठग-

करन मोहन: इस पूरे कांसेप्ट का मास्टरमाइंड है और इस काम में विनोद के साथ बराबर का पार्टनर है।
शिक्षा: B Com

विनोद सिंह: करन मोहन के साथ इस काम को अंजाम देता है व VMAK का डायरेक्टर भी है।
शिक्षा: MBA

अक्षय मालिक: इस काम में करन मोहन के साथ पार्टनर है और गेटवे मैनेज करना, हवाला से पैसा मंगाने का पूरा सिस्टम इसी का है।
शिक्षा: क्वींस विश्वविद्यालय कनाडा से मास्टर इन फाइनेंस

ध्रुव नारंग (करन मोहन का साला): कॉल सेंटर का संचालन इसी की देखरेख में होता है और फर्जी कस्टमर सपोर्ट अधिकारी भी यही मैनेज करता है।
शिक्षा: Graduate

मयंक गोगिआ: कॉल वेंडर है, यही विदेश से आई कालो को सर्वर में लैंड करने के बाद राउटर के माध्यम से राउट करता है।
शिक्षा: B Com

दीपक: यह ठगी किए गए रुपयों, कस्टमर कंप्लेंट डाटा, कॉल इन सब का एमआईएस मैनेज करता है।
शिक्षा: B Com.

यह सभी लोग कई कम्पनियों में निदेशक है जिनके माध्यम से ठगी के रुपयों को ठिकाने लगाया जाता है। आरोपियों के पास से 12 मोबाइल, 76 डेस्कटॉप, 81 सीपीयू, 56 वीओआईपी डायलर, 37 क्रेडिट कार्ड आदि बरामद हुए हैं।

फर्जी कंपनी की आड़ में चलाते थे कॉल सेंटर
फर्जी दस्तावेज से आरोपियों ने अलग-अलग नाम से कंपनियां बना रखी थी। इसमें वी-मैक रिसर्च एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, वी-मैक इलेक्ट्रिकल प्राइवेट लिमिटेड, डीएमओ मार्केटिंग एंड रिसर्च एलएलपी, वी मैक इलेक्ट्रिक्ल्स प्राइवेट लिमिटड, मैक्य वैल्यू प्लस कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, एमपीजी टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड आदि कंपनियों की आड़ लेकर ये फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे।

हवाला के माध्यम से आता था पैसा
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि रुपया पेमेंट गेटवे, बायर के माध्यम से गिफ्ट कार्ड के माध्यम से यूएसडीटी में आता है। जो किराए के अकाउंट में डॉलर में आते थे। फिर किराए पर अकाउंट देने वाले कमीशन काटकर भारत में हवाला के जरिए पैसा ट्रांसफर होता था।

अमेरिका तक फैला है नेटवर्क
फर्जी कॉल सेंटर का नेटवर्क दुनिया के कई देशों में है। आरोपियों ने अमेरिका, कनाडा, लेबनान, ऑस्ट्रेलिया, दुबई से लेकर कई पश्चिमी देशों के लोगों से ठगी की है। नोएडा के कॉल सेंटर में 50 से अधिक लोग रोजाना काम कर रहे थे। बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है।

ऐसे करें बचाव

  • फोन पर किसी को भी अपने अकाउंट की जानकारी गलती से भी न दें।
  • अनजान व्यक्ति को कभी भी OTP न बताएं। कोई भी बैंक अधिकारी OTP नहीं मांगता।
  • कोई भी लिंक आता है तो उसे क्लिक न करें। लिंक खोलते ही सिस्टम को हैक कर लेते हैं।
  • उसके बाद पूरा सिस्टम हैकर के पास चला जाता है। मोबाइल पर आने वाले OTP को देखने के बाद पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके बाद डिलीट कर देते हैं। लोगों को पता भी नहीं चलता।
  • मोबाइल और लैपटॉप खराब होने पर किसी भी अनजान व्यक्ति से ठीक न कराएं।
  • अपना लैपटॉप और कंप्यूटर को एनी डेस्क और अन्य सॉफ्टवेयर से दूसरे को कंट्रोल में न दें।
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