200 लोगों को चढ़ा दिया एक्सपायर खून, स्मैकर्स से खरीदकर 5-10 हजार में बेचा, फ्रिज में सब्जी के साथ रखे थे बैग
पटना में 200 से ज्यादा लोगों को एक्सपायरी खून चढ़ा दिया गया है। स्मैकर्स से 700 रुपए में ब्लड खरीदकर डिमांड के हिसाब से 5 से 10 हजार में ये खून बेचा जाता था। कलेक्शन के बाद ब्लड का स्टोर घरेलू फ्रिज में सब्जी रखने वाली जगह में किया जाता था। इतना ही नहीं ब्लड निकालने और चढ़ाने से पहले कोई जांच नहीं कराई जाती थी।
ऐसे में ब्लड चढ़ाने के बाद मरीजों को बड़े खतरे की आशंका है। पटना पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापेमारी में 44 पैकेट खून बरामद हुए हैं, अब इसकी जांच कराई जा रही है।
पुलिस की छापेमारी में खुलासा
दरअसल, पटना के कोतवाली क्षेत्र में लॉकेट की चोरी हुई थी। पुलिस मामले की जांच में जुटी थी। शुक्रवार की रात पुलिस को लीड मिली कि पत्रकार नगर थाना क्षेत्र में संतोष गैंग चलाता है। कोतवाली पुलिस ने छापेमारी में संतोष को गिरफ्तार कर लॉकेट चोरी गैंग का खुलासा करते हुए कई लॉकेट और आभूषण बरामद किए।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी का जब फ्रिज खोला तो उसके होश उड़ गए। फ्रिज में 44 पैकेट ब्लड रखा गया था। पुलिस ने तत्काल इसकी सूचना अफसरों को दी जिसके बाद औषधि विभाग की टीम जांच पड़ताल में जुट गई। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संतोष के साथ अजय कुमार द्विवेदी को पकड़ा है।
घरेलू फ्रिज में सब्जी रखने वाली जगह पर रखा गया था ब्लड बैग
ब्लड बैग पर नहीं लिखा जाता था ब्लड डोनेशन करने वाले का नाम
ब्लड बैग पर नहीं लिखी जाती थी ब्लड कलेक्शन की डेट
ब्लड बैग पर नहीं लिखते थे एक्सपायरी डेट
ब्लड कलेक्शन के पहले नहीं कराई जाती थी डोनर की जांच
कंकड़बाग के निवेदा ब्लड सेंटर मिलता था ब्लड का खाली बैग
पालीबैग और मित्रा कंपनी के ब्लड का बैग में मिला खून
पटना में पालीबैग और मित्रा कंपनी के हैं दो डीलर
खून के काले कारोबार में 5 बड़े सवाल
निवेदा ब्लड सेंटर का ब्लड बैग कहां से पाते थे कारोबारी
किस ब्लड सेंटर के डिमांड लेटर से कारोबारी लाते थे खाली बैग
अगर निवेदा ब्लड सेंटर से बैग चोरी हुआ तो क्या पुलिस को सूचना दी गई
किन किन हॉस्पिटल को सप्लाई होता था ब्लड का बैग
खुलासे के बाद ब्लड सेंटर क्यों नहीं दे रहा कोई जवाब
अजय लाता था स्मैकिया, संतोष निकालता था खून
अजस कुमार द्विवेदी वैशाली और संतोष जमुई का रहने वाला है। अजय का काम स्मैकर्स को पकड़कर लाना और खून निकलवाना था। इसके लिए उसे एक केस में 1000 रुपए मिलता था। संतोष पटना के कंकड़बाग स्थित निवेदा ब्लड सेंटर पर लैब टेक्नीशियन का काम करता था और घर पर खून का कारोबार करता था। वह ब्लड कलेक्शन के बाद अपने किराए के कमरे में घरेलू फ्रिज में रखता था। वह जरूरत के हिसाब से ब्लड को 5 से 10 हजार रुपए में बेचता था।
अजय ने बताया कि वह स्मैकर्स को 700 देता था 300 खुद रखता था। बाकी पूरी कमाई संतोष के पास जाती थी। जांच के लिए ड्र्रग इंस्पेक्टर यशवंत कुमार झा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनाई गई है जिसमें डीआई पंकज कुमार और डीआई मनोज कुमार को शामिल किया गया है। टीम ब्लड सेंटर से लेकर ब्लड बैंक बेचने वाली एजेंसी की जांच की जा रही है।
200 ब्लड बैग की हो गई सप्लाई
डीआई यशवंत कुमार झा का कहना है कि ब्लड को 2 से 6 डिग्री तापमान में रखना होता है। हमेशा तापमान की मॉनिटरिंग करनी होती है। इतना ही नहीं ब्लड को घरेलू फ्रिज में रखना ही नहीं होता है। इसके लिए विशेष प्रकार का डी फ्रीजर आता है, लेकिन इसे घरेलू फ्रिज में सब्जी रखने वाली जगह पर रखा गया था। बैग पर न तो कलेक्शन का डेट था और न ही एक्सपायरी डेट दी गई थी।
पकड़े गए धंधेबाजों में एक के पास से निवेदा ब्लड सेंटर का आई-कार्ड मिला है, जिससे यह खुलासा हुआ है कि वह वहां लैब टेक्नीशियन है। डीआई का कहना है कि जिस तरह का ब्लड बरामद हुआ है। उस तरह के लगभग 216 पैकेट उसने बेच दिया है। संतोष ने यह खुलासा किया है कि वह निवेदा ब्लड सेंटर से 250 खाली बैग लाया था, इसमें उसके पास मात्र 44 बैग ही बचा था। बाकी बैग में वह खून बेच चुका है।
जानिए क्यों जानलेवा है यह ब्लड
ब्लड डी फ्रीजर में हो ताे उसकी लाइफ 30 दिन होती है
डोनर की HIV, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया और यौन जनित बीमारी की जांच होनी चाहिए
नवजात के लिए कलेक्शन के 7 दिन के अंदर का ब्लड देना होता है नहीं तो मौत का खतरा होता है
बैग पर कनेक्शन और एक्सपायरी डेट के साथ डोनर की पूरी डिटेल होनी चाहिए
डोनर का ब्लड ग्रुप की पूरी डिटेल के साथ जांच की पूरी डिटेल लिखी होनी चाहिए
जानिए ऐसे खून से होने वाला खतरा
ब्लड की क्लॉटिंग होने का खतरा
हार्ट फेल होने का खतरा
लकवा मारने का खतरा
ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
जान जाने की अधिक संभावना
बच्चों में मौत का बड़ा खतरा
नकली खून की आशंका को लेकर हड़कंप
स्वास्थ्य विभाग में नकली खून की आशंका को भी लेकर हड़कंप है। जांच में जुटे अधिकारियों का कहना है कि ब्लड को सीएस ऑफिस में सुरक्षित रखवा दिया गया है। ब्लड के साथ वह फ्रिज को भी जब्त किया गया है। अब रैंडम ब्लड की जांच कराई जाएगी और देखा जाएगा कि वह कैसे है। उसमें मिलावट है या फिर खून में कोई संक्रमण है। इसके लिए टीम काम कर रही है।
जांच यह भी की जा रही है कि ब्लड किन किन अस्पतालों को दिया गया और जिन मरीजों को चढ़ाया गया उनकी क्या स्थिति है। इसके साथ स्वास्थ्य विभाग खून के कारोबार का पूरा नेटवर्क खोलने में जुटा है। डीआई का कहना है कि खून के कारोबार को गंभीरता से लिया गया है, इसका पता लगाया जाएगा कि यह नकली है कोई संक्रमण वाला है।