शोधकर्ताओं ने बताया कि एक नमकीन पूल समुद्र तल में एक डिप्रेसन की तरह है जो अत्यधिक खारे पानी (Salt Water) और अन्य रासायनिक तत्वों से भरा होता है. यहां का पानी महासागर के आसपास के पानी की तुलना में अधिक नमकीन होता है. उन्होंने कहा कि पानी के नीचे का यह पूल जानवरों को अचेत कर सकता है या मार सकता है. कभी कभी ये जीव-जंतुओं को खारे पानी में जिंदा कैद कर लेते हैं.
Live Science से बात करते हुए प्रमुख शोधकर्ता सैम पुरकिस ने कहा कि घातक पूलों के पास “पृथ्वी पर का सबसे चरम वातावरण” होता है जहां अगर “कोई भी जानवर समुद्र के इस पानी के इलाके में घुस जाता है, वह तुरंत या तो अचेत हो जाता है या फिर मार दिया जाता है.”
इसके अलावा, सैम पुरकिस ने बताया कि मछली, झींगा और ईल शिकार के लिए नमकीन पानी का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि ये जीव अनजाने में तैरने वाले “दुर्भाग्यपूर्ण” जीवों को खाने के लिए घातक पूल के आसपास दुबके रहते हैं.
प्रमुख शोधकर्ता सैम पुरकिस ने कहा कि इस तरह के पूल की खोज से वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि हमारे ग्रह पर सबसे पहले महासागर कैसे बने. उन्होंने यह भी कहा कि खारे पानी के पूल में बड़ी संख्या में Microbes होते हैं और वे अपनी विविधता में समृद्ध हैं.