स्प्राइट (Sprite) अब हरे रंग की बोतल में नहीं मिलेगी। स्प्राइट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी कोका कोला ने 60 साल बाद इस लोकप्रिय कोल्ड ड्रिंक को हरे रंग की जगह सफेद या ट्रांसपेरेंट बोतलों में बेचने का फैसला किया है।
1961 में पहली बार अमेरिका में लॉन्च हुई और दुनिया की सबसे पॉपुलर सॉफ्ट ड्रिंक में शुमार स्प्राइट को हरे रंग की बोतल में न बेचने का फैसला 1 अगस्त से लागू होगा।
कोका कोला करेगी स्प्राइट को हरे रंग की बोतलों में बेचना बंद
कोका कोला ने 27 जुलाई को जारी अपने एक बयान में घोषणा की है कि वह 1 अगस्त से स्प्राइट को हरे रंग की बोतल में नहीं बेचेगी।
कंपनी का कहना है कि उसका ये कदम पर्यावरण के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बनने के उसके प्रयासों का हिस्सा है।
कोका कोला न केवल स्प्राइट बल्कि कंपनी के उन अन्य ड्रिंकिंग प्रोडक्ट्स को भी क्लियर बोतल में पेश करेगी, जो हरे रंग की बोतल में आते हैं। इनमें फ्रेसका, सीग्राम्स और मेलो यलो शामिल हैं।
कंपनी ने कहा है कि इसकी शुरुआत वह नॉर्थ अमेरिका से करेगी। धीरे-धीरे भारत समेत दुनिया भर में हरे रंग की बोतलों को क्लियर बोतल से रिप्लेस किया जाएगा।
कोका कोला 2019 में ही यूरोपीय देशों और कुछ साउथ एशियाई देशों में स्प्राइट की हरे रंग की बोतल की जगह ट्रांसपेरेंट बोतलों का इस्तेमाल शुरू कर चुकी है। उसने 2019 में सबसे पहले फिलीपींस से इसकी शुरुआत की थी।
हरा रंग स्प्राइट की पहचान, वही हरे रंग की बोतलों के बंद होने की वजह बना
पॉपुलर ड्रिंक स्प्राइट को अमेरिका में 1961 में लॉन्च किया गया था। जल्द ही अपने सिग्नेचर ग्रीन पैकेजिंग की वजह से ये हर घर में पहचाना जाने वाला ब्रैंड बन गया।
अब स्प्राइट दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा और कोक के बाद कोका कोला का दूसरा सबसे ज्यादा बिकने वाली सॉफ्ट ड्रिंक है।
कोका कोला ने स्प्राइट की बोतलों का रंग हरा, खुद को बाकी प्रतिद्वंद्वियों से आगे रखने के लिए रखा था।
सवाल ये है कि तो कोका ने स्प्राइट की हरे रंग की बोतलों को बंद करने का फैसला क्यों किया?
- स्प्राइट की करेंट पैकेजिंग में ग्रीन पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट यानी PET होता है। हालांकि ग्रीन प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकता है, लेकिन इससे रिसाइकल करके नई बोतलें नहीं बनाई जा सकती हैं।
- कोका कोला का कहना है कि वैसे तो स्प्राइट के ग्रीन प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकता है, लेकिन इसकी रिसाइक्लिंग से सिंगल-यूज प्लास्टिक चीजें जैसे-कारपेट या कपड़े ही बन सकते हैं। इसे रिसाइकिल करके बोतले नहीं बनाई जा सकती हैं।
- दरअसल, ग्रीन प्लास्टिक आमतौर पर रिसाइकिल किए जा सकते हैं, लेकिन इन्हें हमेशा रिसाइकल करना आसान नहीं होता।
- प्लास्टिक में मौजूद कलर जैसा कोई भी सब्सटेंस इसे फिर से यूज करना मुश्किल बना देता है। इसी वजह से बहुत कम कंपनियां कलर वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल करना चाहती हैं।
- कोका कोला ने अपने बयान में कहा है, ‘स्प्राइट हरे रंग से क्लियर प्लास्टिक में बदल रहा है ताकि मटेरियल (प्लास्टिक) को दोबारा नई बोतलों में बदलने की संभावना बढ़ सके।’
- ग्रीन प्लास्टिक पर्यावरण के लिहाज से ग्रीन नहीं होता है। एक रंगीन बोतल रीसाइक्लिंग के लिए प्रदूषण जैसी होती है और इसे अलग करना पड़ता है, जिससे इसके कूड़े में पहुंचने यानी प्लास्टिक वेस्ट या कचरा बनने की संभावना बढ़ जाती है।
- साथ ही हरे प्लास्टिक के लिए बड़ा मार्केट भी नहीं मौजूद है, इसलिए रिसाइकल करने वाले इसे नई पैकेजिंग में बेचकर ज्यादा पैसा भी नहीं कमा सकते हैं।
कोका कोला का लक्ष्य 2030 तक अपनी हर बोतल को रिसाइकिल करना
कोका कोला ने 2018 में अपनी ”वर्ल्ड विदआउट वेस्ट” पहल की शुरुआत की थी। इसके जरिए कंपनी का लक्ष्य 2030 तक उसके द्वारा बेची जाने वाली हर बोतल या केन को इकट्ठा करके उसे रिसाइकल करना है।
साथ ही इस दौरान कोका कोला जो भी बोतलें बनाएगा, उनमें से 50% बोतलें रिसाइकिल मटेरियल से बनाई जाएगी।
कंपनी का कहना है कि वह इस कदम से 2019 की तुलना में 2 करोड़ पाउंड यानी करीब 90 लाख किलो प्लास्टिक को मैन्युफैक्चर करने से बच सकेगी।
साथ ही इससे ग्रीन हाउस गैसों के एमिशन में 25 हजार मीट्रिक टन की कमी आएगी। दरअसल, रिसाइकिल बोतलों को बनाने में नई बोतलों को बनाने की तुलना में कम एनर्जी पैदा होती है।
इसी के तहत कंपनी ने पिछले साल 13.2 औंस या 37.4 ग्राम वजन वाली एक ऐसी बोतल लॉन्च की, जो 100% रिसाइकिल किए गए मटेरियल से बनी थी।
2020 में आई पर्यावरण फर्म ‘ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक’ की रिपोर्ट में कोका कोला को दुनिया का सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला ब्रैंड घोषित किया गया था।
इस रिसर्च में 51 देशों में कोका कोला के लोगो और ब्रैंडिग के 13,834 टुकड़ों को फेंके गए प्लास्टिक के रूप में पाया गया था। कोका कोला के प्लास्टिक कचरे ज्यादातर पार्कों और समुद्र तटों पर पाए गए थे।