फतेहपुर। मोहर्रम का चांद दिखते ही इस्लामी कैलेंडर का नया वर्ष शुरू हो गया है। मोहर्रम की पहली तारीख से ही जहां शहर क्षेत्र में ताजियादारी के साथ ही नौहा ख्वानी का सिलसिला शुरू हो जाता है वहीं ताजिया बनाने वाले कारीगर भी कमेटियों के आर्डर पर ताजिया तैयार करने में जुट जाते हैं। इन दिनों कारीगर युद्ध स्तर पर ताजियों को तैयार कर रहे हैं जो कस्बा क्षेत्रों के अंतर्गत कमेटियों को निर्धारित समय पर सुपुर्द किए जाएंगे।
शहर क्षेत्र के साथ-साथ गांव में भी मोहर्रम पर्व पर ताजियादारी धूमधाम से की जाती है। जिले की ताजियादारी गैर जनपदों में भी मशहूर है। शहर क्षेत्र में पहली मोहर्रम से लेकर ग्यारह मोहर्रम तक ताजियादारी उरूज पर रहती है। वहीं देहात क्षेत्र में भी अलग-अलग तिथियों में ताजियादारी की जाती है। कमेटियों के मुखिया मोहर्रम शुरू होते ही कारीगरों को ताजिया निर्माण करने के आर्डर दे देते हैं। आर्डर को पूरा करने के लिए कारीगर दिन रात जुटे हुए हैं। युद्ध स्तर पर कारीगर ताजिया बना रहे हैं और उन्हें निर्धारित समय पर कमेटियों के सुपुर्द किए जाएगा। कारीगरों ने बताया कि महंगाई की वजह से अब ताजिया पहले की अपेक्षा महंगे हो गए हैं। इसका असर उनके कारोबार पर भी पड़ा है। बताया कि शहर क्षेत्र में बड़े ताजियों पर मन्नत पूरी होने के बाद छोटे ताजिया चढ़ाने की भी परंपरा है इसको लेकर भी वह छोटे-छोटे ताजिया बना रहे हैं। जिनको इमामबाड़ों के नजदीक बिक्री की जाएगी।