रक्षाबंधन के पहले बहनों ने खोया इकलौता भाई, एक चिंगारी से 8 घरों के ‘चिराग’ बुझे   

 

जबलपुर में एक चिंगारी से 8 घरों के ‘चिराग’ बुझ गए। परिवार वालों को कभी ना भरने वाला जख्म दे गया। कोई इस उम्मीद से आया था कि सेहतमंद होकर घर लौट जाएगा, तो कोई यहां काम कर सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहा था। लेकिन न्यू लाइफ सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल में काल की ऐसी चिंगारी भड़की,कि सबकुछ खाक हो गया। किसी ने रक्षाबंधन से पहले अपने इकलौते भाई को खो दिया, तो कोई करियर बनाने से पहले ही कॉल के गाल में समा गया। पिता का इलाज कराने आई बेटी आग में जल गई।

बुआ को डिस्चार्ज कराने आए भतीजा-भाभी जिंदा जल गए

26 साल का सोनू उर्फ अमर यादव चाची अनुसुईया के साथ हॉस्पिटल में भर्ती अपनी बुआ को डिस्चार्ज कराने आए थे। लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि मौत उन्हें अपने आगोश में ले लेगी। दोनों यूपी के चित्रकूट के मानिकपुर के गुरौला गांव के रहने वाले थे। लीवर की बीमारी के चलते बुआ दीपा यादव हॉस्पिटल में भर्ती थी। दोनों बुआ को अस्पताल से छुट्टी कराकर घर ले जाने वाले थे। इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी करने में लगे थे। दोनों ने बुआ दीपा को बैठाया और काउंटर पर बिल के रुपए जमा कर रहे थे, तभी लपटें उठी और दोनों आग में घिर गए।

रक्षाबंधन से पहले छिन गया इकलौता भाई

अग्निकांड में 30 साल के वीर सिंह की भी जान चली गई। वीर सिंह दो बहनों का इकलौता भाई था। रक्षाबंधन के ऐन पहले अपने भाई को खोने के बाद दोनों बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों बहनें रह-रह कर सिसक रही है। परिवार में चीख-चीत्कार मची है, हर तरफ मातम पसरा है। वीर सिंह की डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी, उसकी 4 महीने की बेटी भी है। वीर सिंह हॉस्पिटल में वार्ड बॉय था। मरते दम तक उसने अपनी ड्यूटी निभाई। हादसे के बाद मरीजों की जान बचाने की कोशिश में वो खुद झुलस गया और उसकी जान चली गई।

दो महीने पहले ही बतौर नर्स जॉइनिंग

नरसिंहपुर की 23 साल की महिमा जाटव ने सेवा का मार्ग चुना था, नर्स के रूप में उसने 2 महीने पहले ही हॉस्पिटल जॉइन किया था। वह दीन-दुखियों की सेवा कर चिकित्सा के क्षेत्र में सुनहरे भविष्य के सपने बुन रही थी। लेकिन उसे नहीं पता था कि इतनी जल्दी उसके सपने खाक हो जाएंगे। आग की लपटों में झुलसे मरीजों को बचाने की कोशिश में महिमा की जान चली गई। अस्पताल में भरे धुएं से उसका दम घुट गया।

महिमा विजय नगर में क्वार्टर लेकर रह रही थी। तनख्वाह के रूप में उसे 6 हजार रुपए मिल रहे थे। वह तीन भाई-बहनों में मंझली थी। उससे बड़ी बहन अनीता जाटव और छोटा भाई अभिषेक घर पर रहते हैं। पिता मजदूरी करते हैं। महिमा की मौत से मां प्रेमवती की हालत खराब है। वह रह रहकर बेसुध हो रही हैं। पिता श्यामलाल ने बताया कि उन्हें जब हादसे की सूचना मिली, तब वह रिश्तेदार के यहां तेंदूखेड़ा जाने के लिए घर से निकले थे।

पिता का इलाज कराने आई बेटी की गई जान

पति की मौत के बाद मायके में रह रही 30 साल की संगीता बाई अपने पिता देवलाल बरकड़े (55) का इलाज कराने यहां आई थी, उनके पैर में घाव था। दोनों उदयपुर, मंडला से यहां आए थे। इसी दौरान हॉस्पिटल में आग लग गई, देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग में धुआं भर गया। जिससे पिता देवलाल बरकड़े दम घुटने से बेहोश हो गए थे। जबकि संगीता की मौत हो गई। पिता देवलाल बरकड़े को एक अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

भाई हो गया हादसे का शिकार

आगासौद माढ़ोताल पाटन रोड निवासी दुर्गेश सिंह (42) का पैर फ्रैक्चर हो गया था। अस्पताल में ऑपरेशन किया गया था। सोमवार शाम को डिस्चार्ज होने वाले थे। दोपहर में एक रिश्तेदार का निधन हो गया। बड़ा भाई मंगल सिंह वहां के लिए रवाना हो गया। इधर, अस्पताल में आग लग गई और दुर्गेश सिंह उसकी चपेट में आ गया। जब तक मंगल अस्पताल पहुंचा, उसके भाई की सांसें टूट चुकी थी।

मरीजों की जान बचाने में चली गई खुद की जिंदगी

नारहदाखोई नारायणपुर (सतना) निवासी शुभाती वर्मा (24) पुत्री मनोज वर्मा अस्पताल में दो साल से बतौर नर्स कार्यरत थी। हादसे के बाद मरीजों की जान बचाने के प्रयास में वह खुद जिंदगी की जंग हार गई। जबलपुर निवासी नाना मैयादीन वर्मा ने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे उनके पास फोन आया। मेडिकल कॉलेज में नातिन के शव की पहचान कराई गई।

शुभाती वर्मा के पिता मनोज वर्मा मुंबई में प्राइवेट जॉब करते हैं। वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। 8 हजार पगार पाने वाली शुभाती वर्मा अपनी छोटी बहन प्रीति को साथ रखकर कॉलेज की पढ़ाई करा रही थी। उसके दोनों भाई परमेश और पवन गांव में मां मीरा के साथ रहते हैं।

हादसे से चंद समय पहले ही भर्ती हुआ था तन्मय

घमापुर खटीक मोहल्ला (जबलपुर) निवासी तन्मय विश्वकर्मा (19) पुत्र अमन विश्वकर्मा उल्टी-बुखार के चलते हादसे से कुछ देर पहले ही भर्ती हुआ था। वह 11वीं में पढ़ रहा था। तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। पिता कारपेंटर हैं। वह दोस्तों के साथ अस्पताल में इलाज कराने गया था। वह ग्राउंड फ्लोर में भर्ती था। ड्रिप चढ़ाने के बाद उसे शाम तक डिस्चार्ज करने का अस्पताल कर्मियों को बोला था। आग भड़कने के बाद तन्मय ने अपने पिता को कॉल करके कहा था,

जिंदगी भर रहेगा हादसे का खौफ

हादसे में उदयपुर मंडला निवासी देवलाल बरकड़े (55) सहित बिजौरी बैढ़न निवासी अमित शर्मा (24), बांदा मानिकपुर यूपी निवासी दीपा यादव (40), बरौदा पनागर निवासी रूबी पटेल (25), और शहपुरा भिटौनी निवासी हल्कीबाई अहिरवार (62) बच गए, लेकिन इस हादसे का खौफ उनकी आंखों में ताउम्र के लिए कैद हो गया। अमित शर्मा व दीपा यादव जहां मेडिकल में भर्ती कराए गए हैं। वहीं अन्य का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है।

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