72 घंटे डिब्बों में पड़ी रहती हैं लाशें, 6 महीने से डीप-फ्रीजर खराब, 1 डॉक्टर के भरोसे पोस्टमॉर्टम हाउस
ललितपुर के जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखे शव का आधा चेहरा नेवलों ने कुतर डाला। लाश के जबड़े का एक हिस्सा खा लिया और कान नोच लिए। एक आंख भी बाहर आ गई। इसका खुलासा तब हुआ, जब पंचनामा भरने आई पुलिस ने डेडबॉडी को मोर्चरी से बाहर निकाला।
शव लेने आए परिवार वाले यह देखकर गुस्सा हो गए। खूब हंगामा हुआ। इसके बाद अस्पताल प्रशासन और पुलिस अपने बचाव के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे।
27 जुलाई को ग्राउंड पर पहुंची। सिर्फ ललितपुर ही नहीं, यूपी के 4 पोस्टमॉर्टम हाउस की हालत जानी। इस दौरान हमें पता चला कि कहीं मोर्चरी के डीप फ्रीजर खराब पड़े हैं, तो कहीं डॉक्टरों की कमी है। कुछ पोस्टमॉर्टम हाउस में बारिश के बाद पानी भर गया है, तो कहीं बिल्डिंग काफी पुरानी हो चुकी है। चलिए बारी-बारी इन 4 पोस्टमॉर्टम हाउस के हालात जानते हैं।
ललितपुर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखा डीप फ्रीजर 6 महीने से खराब पड़ा है। बटन ऑन होने पर फ्रीजर चलने की आवाज तो आती है, लेकिन कूलिंग नहीं होती। मोर्चरी को दिया गया कमरा इतना छोटा है कि शव लाने पर 2 से 3 लोग ही इसमें ठीक से खड़े हो सकते हैं। खिड़की का दरवाजा टूटा हुआ है। इसे 23 जुलाई की घटना के बाद प्लाई से ढक दिया गया है।
नया डीप फ्रीजर लगवाने के लिए NGO के भरोसे अस्पताल प्रशासन
यहां के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया, “बारिश में नेवले और चूहे दरवाजे, खिड़की और वेंटिलेटर के रास्ते मोर्चरी में घुस जाते हैं। इसे देखते हुए हमने टूटी पड़ी खिड़कियों को प्लाई से ढकवा दिया है। कुछ NGO ने हमें 2 नए डीप फ्रीजर देने के लिए कहा है। जल्द ही मोर्चरी में नए फ्रीजर लग जाएंगे।”
मोर्चरी 2: झांसी में बक्सों में रखी जा रही लाशें, मोर्चरी के सामने नाक बंद कर निकलते हैं लोग
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बने पोस्टमॉर्टम हाउस में रोजाना 4 से 5 शव आते हैं। यहां की 2 बिल्डिंग में डेडबॉडी रखी जाती हैं। मोर्चरी में 6 फ्रीजर हैं, जिनमें से 3 खराब हैं। आधे फ्रीजर खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज से आने वाले शव लोहे के बॉक्स में रखे जाते हैं। इससे मोर्चरी के आस-पास बदबू आती रहती है।
शव रखने वाले फ्रीजरों की बैटरी चोरी हो गई, सालभर से खराब पड़े
मेडिकल कॉलेज के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पिछले साल सितंबर में 2 डीप फ्रीजरों में लगी 8 बैटरियां चोरी हो गई थीं। मगर, मीडिया में खबर आने के बाद खराब पड़े 3 फ्रीजरों को ठीक करवाया गया है।” वो आगे बताते हैं, “शवों का पंचनामा होने में कई बार देरी हो जाती है। ऐसे में पहचान न होने के कारण डेडबॉडी को 72 घंटे तक लोहे के बॉक्स में रखा जाता है। इससे शव के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है।”
डेडबॉडी रखने वाले बॉक्स से रिसते पानी को चाटते हैं कुत्ते
हम मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस के पास वाले हिस्से में पहुंचे। वहां बाहर रखे एक लोहे के बॉक्स से तेज बदबू आ रही थी। उस बॉक्स के अंदर से पानी का रिसाव हो रहा था, जिसे एक कुत्ता चाट रहा था। दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि हमारी उस बॉक्स के पास जाने की भी हिम्मत नहीं हुई।
मोर्चरी 3: कानपुर में एक डॉक्टर के भरोसे पोस्टमॉर्टम हाउस, बारिश में भर जाता है पानी
कानपुर के पोस्टमॉर्टम हाउस में रोजाना 10 से 15 शव रखे जाते हैं। मगर, यहां सिर्फ 4 शवों को रखने की क्षमता वाला डीप फ्रीजर है। इससे ज्यादा केस आने पर शवों को खाली जगह पर रख दिया जाता है। बारिश में मोर्चरी के गेट पर पानी भर जाता है। इससे शवों को अंदर लाना कर्मचारियों के लिए चुनौती बन जाती है।
स्टाफ की कमी से पोस्टमॉर्टम में घंटों लग जाते हैं
पोस्टमॉर्टम हाउस के फार्मासिस्ट दिलीप सचान ने बताया, “पोस्टमार्टम हाउस में दो डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। मगर, एक डॉक्टर के सहारे यहां काम चल रहा है। इससे ज्यादा केस आने पर पोस्टमॉर्टम घंटों देरी से हो पाते हैं। यहां फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर और कंप्यूटर ऑपरेटर भी नहीं हैं। इससे पैनल में होने वाले पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी नहीं हो पाती है। ऐसी हालत में तीमारदारों को अपने खर्च पर निजी वीडियोग्राफर बुलाना पड़ता है।”
एक डॉक्टर पर 10 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाने का बोझ
पोस्टमॉर्टम हाउस में केवल प्रभारी डॉ. नवनीत चौधरी को ही तैनात किया गया है। इससे ज्यादा केस आने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाने का बोझ बढ़ जाता है। कभी-कभी एक ही दिन में 10 शवों का पोस्टमॉर्टम होता है। तब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाना बड़ा चैलेंज बन जाता है। पोस्टमॉर्टम हाउस में फिलहाल 1 डॉक्टर, 2 फार्मासिस्ट, 2 एक्स-रे टेक्नीशियन और 4 स्वीपर हैं।