भूलने की बीमारी पर रिसर्च, 2030 तक 7.8 करोड़ लोग डिमेंशिया का शिकार होंगे, खतरे को 35% कम कर सकती हैं ये टिप्स

 

डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति की न केवल याददाश्त कमजोर हो जाती है दिमाग की सामंजस्य बैठाने की क्षमता घटती है, जिससे मरीज को कई समस्याएं होने लगती हैं। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित 24 से ज्यादा शोधों पर किए गए एनालिसिस में पता चला है कि यदि रोजाना के कामों में कुछ बदलाव किए जाएं तो इसके खतरे को 35% तक घटाया जा सकता है।

1. सुनने की क्षमता का सीधा संबंध: कम सुनाई देने के कारण व्यक्ति सामाजिक रूप से घुलने-मिलने में कतराने लगता है। ऐसे मेें दिमाग की समन्वय की क्षमता घटती है। नतीजा याददाश्त घटने लगती है।

2. ब्लड प्रेशर को रखें संतुलित: ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी से दिल के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे फ्री रेडिकल्स बढ़ने लगते हैं। इससे तनाव व इंफ्लामेशन बढ़ता है, जो न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे मस्तिष्क की क्षमता प्रभावित होने लगती है।

3. डायबिटीज को नियंत्रित करें: बढ़ी हुई डायबिटीज के नियंत्रित नहीं होने पर यह दिमाग में पहुंचने लगती है, जो कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती है।

5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया के शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो दुनिया में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। इनमें से 60% मरीज लो या मिडिल इनकम देशों में रहते हैं। भूलने की बीमारी के ज्यादातर मरीज बुजुर्ग ही होते हैं। WHO के मुताबिक, साल 2030 तक मरीजों की संख्या बढ़कर 7.8 करोड़ हो जाएगी। वहीं, साल 2050 तक यह आंकड़ा 13.9 करोड़ पर पहुंच जाएगा।

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