अभय प्रताप सिंह को सत्ता का मिला अभयदान -जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी कब्ज़ाने का विपक्षियों का मंसूबा धराशाई

फतेहपुर। जिला पंचायत की सरकार को अपदस्थ करने का विपक्षी मंसूबा उस समय धराशाई हो गया जब जिला पंचायत की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अभय प्रताप व उनके विश्वस्त लोगों ने अपनी सत्ता बचाने के लिए विपक्षी खेमे में ही सेंध लगाकर बागी सदस्यों में ही दूसरे गुट के सदस्यों को अपने पाले में शामिल करने में कामयाबी हासिल कर ली।
लगभग एक माह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह पप्पू की सत्ता को ढहाने की रणनीति बनाने वाले विपक्षी गुटों ने शतरंज की बिसात सजाई थी। जिला पंचायत की सत्ता से ठाकुर अभय प्रताप सिंह को बाहर करने के लिए सत्ताधारी दलों से संबंध रखने वाले कई नेताओं की शह पर सियासत की गोटे सजाई गई और अभय प्रताप सिंह की कार्यशैली से खिन्न एवं असंतुष्ट खेमे के सदस्यों को मिलाकर जिला पंचायत की 46 सदस्यीय सदन के 24 सदस्यों की नई कैबिनेट बनाकर अविश्वास के ज़रिए जिला पंचायत की कुर्सी हड़पने की पूरी तैयारी कर ली गयी थी। विश्वस्त सूत्रों की माने तो इस पूरे खेल में जिले के सत्ताधारी दल के कई दिग्गजों का आशीर्वाद भी था। यह भी सही है कि अभय प्रताप सिंह को जिला पंचायत की राजनीति का मज़बूत खिलाड़ी माना जाता है। सपा सरकार के रहते पत्नी डॉ निवेदिता सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज करवाकर अभय प्रताप पप्पू ने अपना लोहा मनवाते हुए इसे साबित भी किया था। जिला पंचायत सदस्यों के चुंनाव के बाद अध्यक्षी पद को लेकर भी अभय प्रताप सिंह के नाम पर कई नेताओं ने विरोध जताया था। अंत में भाजपा शीर्ष नेतृत्व से अपने नाम पर मोहर लगवाकर अभय प्रताप ने आलोचकों का मुंह बंद कर अपनी राजनैतिक मज़बूती एक बार फिर से साबित कर दिया था। जिला पंचायत की नई कैबिनेट के अस्तवित्व में आये एक वर्ष के अंदर सदस्यों के असंतोष की वजह जिला पंचायत अध्यक्ष की कार्यशैली को लेकर सदस्यों की नाराजगी रही है लेकिन सत्ताधारी दल की सरकार होने के बाद भी अध्यक्ष की कुर्सी हिल जाना कोई मामूली घटना नही थी। विपक्ष को बोलने का मौका मिलने और सरकार की संभावित फ़ज़ीहत होने का अंदाज़ा लगाते हुए संघ व भाजपा के सक्रिय हुए प्रदेश नेतत्व ने मामले को हल्के में लेने की जगह जनपद के बड़े नेताओं व माननीयों को सब कुछ मैनेज करने का संदेश देकर न सिर्फ अभय प्रताप सिंह को अभयदान दे दिया बल्कि सरकार पर हमलावर होने वाली समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों के मंसूबो को भी नकाम कर दिया। सूत्रों की माने तो जिला पंचायत अध्यक्ष अभय सिंह के प्रति अविश्वास जताने वाले खेमे ने असंतुष्ट सदस्यों को गैर प्रान्त में ठहराया था जिन्हें तय समय पर जिलाधिकारी के सामने मय हलफनामे के परेड करवाकर अविश्वास का पत्र देना था। नियमानुसार जिलाधिकारी द्वारा संतुष्ट होने के बाद सदन को बहुमत साबित करने निर्देश दिया जाता। विपक्ष अपनी चाल में कामयाब होता इससे पहले अभय प्रताप गुट के चाणक्यो ने विपक्ष के खेमे में ही सेंध लगा दी जिससे ठहराए गये अंसतुष्ट तय शुदा स्थान से निकल भागे। 46 सदस्यीय जिला पंचायत में बहुमत के लिए नेता सदन समेत 24 सदस्यों का बहुमत चाहिए होता है। सूत्रों की माने तो 16 ज़िप सदस्यों क़ो प्रलोभन देकर इस मुहिम में शामिल कर गैर प्रान्त भेजा गया और बाकी अन्य को जोड़े जाने की गणित लगानी शुरू कर दी गयी। अविश्वास प्रस्ताव लाने क़े लिये हलफ़नामा बनवाने क़ी तैयारी भी शुरू कर दी गई लेकिन अभय प्रताप गुट की पेशबंदी के आगे विपक्षियों क़ी योजना धरी क़ी धरी रह गई। भाजपा आलाकमान के निर्देश पर जनपद के माननीय समेत शीर्ष भाजपा नेताओ ने अपने स्तर से असंतुष्टो सदस्यो से सम्पर्क कर उन्हें अपने पाले में कामयाबी हासिल कर ली। हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आखिकार सदस्यों ने अभय प्रताप गुट क़े साथ ही बने रहने का निर्णय लेकर विपक्षी दलों के मंसूबे को धराशाई कर दिया। जानकारों की माने तो जिला पंचायत अभय प्रताप सिंह की अध्यक्षी की कुर्सी बचाने में जिला पंचायत की राजनीति के दिग्गज महारथी एवं पूर्व डीसीबी चेयरमैन उदय प्रताप सिंह मुन्ना का अहम रोल भी माना जा रहा है। मौजूदा राजनीति में जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह पप्पू ने अपनी कुर्सी बचाते हुए न सिर्फ अपना राजनैतिक कद बढ़ाने में कामयाब हुए हैं वही विपक्षी दलों का मंसूबा ध्वस्त कर सत्ता में शामिल अपने आलोचकों का मुंह भी बंद कर दिया है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.