डिंडौरी में एक शिक्षक की अजब प्रेम की गजब कहानी सामने आई है। शिक्षक पत्नी से इतना प्यार करता था कि मौत के बाद भी उससे दूर नहीं रह सका। पत्नी की बीमारी से मौत हो गई तो उसे घर में ही दफना दिया। आसपास के लोगों को जब इसका पता चला तो वे दहशत में आ गए। उन्होंने पहले थाने में शिकायत की। सुनवाई नहीं होने पर कलेक्टर के पास पहुंच गए। प्रशासन ने शिक्षक के घर खुदाई कर शव निकाला। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार कराया। शिक्षक ने खुदाई का विरोध करते हुए कहा – मैं मानव और दानव दोनों काे समान समझता हूं।
पढ़िए शिक्षक के अजब प्रेम की गजब कहानी…
डिंडौरी के वार्ड – 14 में बिरसा मुंडा स्टेडियम के सामने का मकान। इसी घर में ओमकार दास मोगरे रहते हैं। वे प्राथमिक स्कूल इमलई में शिक्षक हैं। 25 साल पहले उनकी शादी रुक्मिणी से हुई थी। उनकी कोई संतान नहीं है। ओमकार के लिए रुक्मिणी ही सब कुछ थी। मंगलवार सुबह पत्नी की मौत हो गई। वह सिकलसेल की बीमारी से पीड़ित थी। बीमारी के चलते उसे थकान, कमजोरी और एनिमिया (खून की कमी) की शिकायत थी। पत्नी दुनिया छोड़कर चली गई, लेकिन ओमकार का मन इसे मानने को तैयार नहीं हुआ। उन्होंने पत्नी को घर में ही दफना दिया।
पड़ोसियों ने पुलिस और प्रशासन का दरवाजा खटखटाया
मंगलवार रात जब यह बात पड़ोसियों को पता चली तो वे दहशत में आ गए। महिलाएं और बच्चे डर गए। सभी पड़ोसी थाने पहुंच गए। पुलिस ने कार्रवाई से इनकार कर दिया। बुधवार को पड़ोसी कलेक्टोरेट पहुंच गए। यहां एसडीएम बलवीर रमण के निर्देश पर नायब तहसीलदार ने कार्रवाई का भरोसा दिया। तहसीलदार गोविंदराम सलामे पुलिस टीम के साथ बुधवार शाम वहां पहुंचे। घर की खुदाई करवाकर रुक्मिणी का शव बाहर निकलवाया। शव को देर रात समाज की रीति के मुताबिक नर्मदा किनारे दफना दिया गया।
मामी को घर में दफनाने की जिद पर अड़े: जयपाल
शिक्षक के भांजे जयपाल दास पारस ने बताया कि मामी के गुजर जाने से मामा को गहरा सदमा लगा। वो मामी को घर में ही दफनाने की जिद पर अड़ गए। कहते रहे कि मैं अकेले इस घर में नहीं रह सकता। सभी रिश्तेदार समझाकर थक गए। आखिरकार मंगलवार शाम को ही शव को घर में ही दफना दिया। वे 25 साल से नि:संतान हैं। इस बात का दु:ख उन्हें हमेशा रहा। पत्नी के निधन से वे पूरी तरह टूट गए हैं।