झारखंड के दुमका में मंगलवार को शाहरुख नाम के एक युवक ने एकतरफा प्यार में असफल होने पर 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 19 साल की युवती को जिंदा जला दिया जिससे उसकी मौत हो गई. घटना के बाद इलाके में स्थिति तनावपूर्ण होने के बाद प्रशासन ने वहां धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी है.
दुमका के पुलिस अधीक्षक अंबर लकड़ा ने ‘पीटीआई/भाषा’ को बताया कि घटना में 90 फीसदी झुलस गई युवती को इलाज के लिए रांची स्थित रिम्स में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार तड़के ढाई बजे उसकी मौत हो गई.
उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद युवती अंकिता का शव दुमका लाया जाएगा. उन्होंने बताया कि युवती के जेरुवाडीह मोहल्ले स्थित घर पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
दुमका के एसडीओ महेश्वर महतो ने बताया कि युवती के मरने की सूचना दुमका पहुंचने पर वहां स्थिति तनावपूर्ण हो गई, वहां दोषी को फांसी देने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने जमकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात को ध्यान में रखते हुए दुमका शहर में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है.
इस सिलसिले में गोड्डा से भाजपा सांसद डा निशिकांत दूबे ने ट्वीट किया है, ‘‘काश दुमका की बेटी अंकिता को हम लोग शाहरुख़ जैसे दरिंदे से बचा पाते.” सांसद ने आगे दुमका के पुलिस उपाधीक्षक की भूमिका पर सवाल उठाते हुए लिखा है, ‘‘मुस्लिम पदाधिकारी नूर मुस्तफ़ा का अपराधी का साथ देना देश के लिए घातक. संथाल परगना अपनी बेटी की हत्या के बाद उद्वेलित है.”
इस बीच पुलिस अधीक्षक ने बताया कि दुमका में स्थिति नियंत्रण में है.
गौरतलब है कि 23 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शाहरुख ने एकतरफा प्यार में असफल होने पर पड़ोस के व्यवसायी संजीव सिंह की 19 वर्षीय बेटी अंकिता पर देर रात सोते समय खिड़की से पेट्रोल उड़ेल कर आग लगा दी थी, जिसमें वह 90 प्रतिशत जल गई थी.
घटना से क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव व्याप्त हो गया है और बजरंग दल एवं विश्व हिंदू परिषद के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने आज दुमका बाजार में बंद रखा और विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने शाहरुख के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने की मांग की है.
पुलिस ने बताया कि घटना के बाद अंकिता को रांची स्थित रिम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कार्यपालक दंडाधिकारी चन्द्रदीप सिंह ने उसका बयान दर्ज किया, जिसे अब पीड़िता का मृत्यु पूर्व अंतिम बयान मान लिया गया है.