कोरोना के बाद हर आयु वर्ग में बढ़ रहा है मनोरोग, आज एम्स में मनोचिकित्सक करेंगे मंथन
कोरोना महामारी के बाद हर आयु वर्ग के लोगों में मनोरोग की समस्या बढ़ रही है। ज्यादातर मरीज खुद को मनोरोग की जगह अन्य बीमारी से पीड़ित मानकर दूसरे विभागों में भटकते रहते हैं। इस वजह से कई बार समस्या और गंभीर हो जाती है। मनोरोग समेत अन्य समस्याओं पर चर्चा के लिए रविवार आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में दुनिया भर के मनो चिकित्सक जुटेंगे और इन समस्याओं पर गहन मंथन करेंगे।
एम्स मनोरोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. गगन हंस ने बताया कि रविवार को एम्स में मनोचिकित्सा विभाग और राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने एम्स में ‘मनोचिकित्सा के आसपास’ विषय पर संवाद का आयोजन किया किया है। चार सत्र के इस आयोजन में दुनियाभर से आए मनोचिकित्सक इस बीमारी को लेकर अपने विचार व अध्ययन की प्रस्तुति करेंगे।
शरण, जेरी पिंटो (लेखक), मालती राव (फिल्म निर्माता), प्रो ममता सूद (मनोचिकित्सक-एम्स) देबजानी दास (इतिहासकार), डॉ. आलोक सरीन (मनोचिकित्सक) मौजूद रहेंगे।
40 साल में बदल गई परिस्थिति
मनोरोगी के व्यवहार में तेजी से बदलाव आ रहा है। इनके उपचार की नीति में भी समय के साथ बदलाव आया है। संवाद के चौथे सत्र में एम्स मनोचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके चड्ढा 40 साल के अनुभव के आधार पर तैयार अध्ययन पर चर्चा करेंगे। साथ ही बताएंगे कि भारत में न्यायिक सक्रियता के कारण मानसिक रोगियों के उपचार में आए बदलाव से काफी सुधार आया है।
मनोरोग के यह है लक्षण
- काम में मन न लगना
- ध्यान केंद्रित न हो पाना
- चिड़चिड़ापन होना
- जल्दी गुस्सा होना
- नशे की आदत लगना
- व्यवहार में बदलाव आना
- तनाव की स्थिति बनना
- मोबाइल पर ज्यादा समय तक रहना
- काफी देर तक इंटरनेट पर रहना