फतेहपुर। जिले में फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए नाइट ब्लड सर्वेक्षण अभियान शुरू हुआ है। यह अभियान 20 सितंबर तक चलेगा। भिटौरा विकास खंड के गांव असनी में लैब टेक्नीशियन महेंद्र, लैब असिस्टेंट सुनील कुमार, बीएचडब्लू रवि मिश्रा, बीसीपीएम भिटौरा मनोज, आशा विमला देवी और मंजू देवी ने गांव में कैंप लगाकर नाइट ब्लड सर्वे कर खून के नमूने लिये। कैंप में करीब 100 मरीजों के नमूने लिए गए।
डीएमओ सुजाता ठाकुर ने बताया कि फाइलेरिया के रोगियों को रात में चिन्हित किया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि रात में ही इसके परजीवी यानी माइक्रो फाइलेरिया खून में अधिक सक्रिय होते हैं। इसलिये रात में खून के नमूने की जांच कर संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। हर ब्लाक में दो क्षेत्रों में रक्त के नमूने लिए जायेंगे। एक ऐसा क्षेत्र जहां पूर्व में अधिक फाइलेरिया के रोगी पाये गये हों एवं एक रैंडम साइट में नाइट ब्लड सर्वेक्षण का कार्य किया जायेगा। यह सर्वेक्षण 20 या 20 से अधिक आयु की महिलाओं एवं पुरुषों के बीच ही संपन्न होगा। हर साइट पर रात आठ बजे से रात 12 बजे तक यह कार्य होगा एवं रक्त पटिटकायें बनाई जाएंगी। इसकी जांच संबंधित प्रयोगशाला में की जायेगी। नाइट ब्लड सर्वें के लिये ब्लाकवार टीमें बनाई गई है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण 12 वर्ष बाद तक पता चल पाते हैं इसलिये स्वस्थ होने के बाद भी फाइलेरिया की जांच जरूर करायें क्योंकि जब तक फाइलेरिया की बीमारी का पता चलता है तब तक मरीज कई स्वस्थ व्यक्तियों को इस बीमारी के वायरस बांट चुका होता है।
इनसेट-
फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना, हाथ पैरों में खुजली होना एलर्जी और त्वचा की समस्या स्नोफीलिया हाथों में सूजन पैरों में सूजन के कारण पैर बहुत मोटा हो जाना पुरूषों के जननांग और उसके आसपास दर्द व सूजन होना पुरूषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण है।
इनसेट-
बचाव के तरीके
मच्छरों से बचाने के लिए विशेष ध्यान दें, आस-पास साफ पानी भी इकट्ठा न होने दें, पानी न हटा पाएं तो उसमें केरोसीन दाल दें, चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ रखें, पूरी बाजू का कपड़ा पहने और साफ-सफाई रखें, सोते वक्त हाथ व पैर सरसों या नीम का तेल लगा लें।