गंगा समग्र व बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने तालाब किनारे की आरती – भारत माता के चित्र पर आरती कर प्रशासनिक अधिकारियों को याद दिलाया कर्तव्य
खागा/फतेहपुर। देश आजादी से पहले वाराणसी (बनारस) के रहने वाले एक व्यापारी ने जिस पक्का तालाब को 40 हजार रुपये की पूंजी खर्च करके बनवाया था। आज जिम्मेदारों की अनदेखी से वह कूड़ाघर बन चुका है। पक्का तालाब के संरक्षण, संवर्धन के लिए भाद्रपद पूर्णिमा को भारत माता आरती और दीपदान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें स्वयंसेवकों के साथ ही तहसीलदार खागा, समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय, व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष शिवचंद्र शुक्ला आदि लोगों ने आरती और दीपदान कर पूर्वजों को नमन किया।
केंद्रीय अध्यक्ष का कहना था कि प्राचीन पक्का तालाब के साथ ही नगर के जलाशयों को संवारने की किसी ने पहल नहीं की। नगर के केंद्र बिंदु में स्थिति आज़ादी के आंदोलन का गवाह पक्का तालाब प्रशासनिक उपेक्षा के चलते तिल-तिल मरने को मजबूर है। भूगर्भ जल संग्रह के लिए मंच से बड़ी-बड़ी बातें करने वाले अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। वर्ष 1860 में मिर्जापुर के एक व्यापारी द्वारा बनवाया गया पक्का तालाब मौजूदा समय में कूड़ाघर बन चुका है। चारों ओर बसी आबादी से निकलने वाला कचरा तालाब के गर्भ में पहुंच रहा है। स्थानीय नागरिक भी प्राचीन धरोहर को उसका असली स्वरूप न मिलने से व्यथित हैं। इससे पहले भी नगर स्थित सरोवरों को संवारने की आवाज उठाई जा चुकी है। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष व स्वयंसेवक पूर्व में पक्का तालाब के आस-पास रहने वाले परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा देख चुके हैं। 200 वर्ष प्राचीन पक्का तालाब को बचाने तथा उसके जीर्णाेद्धार हेतु आईजीआरएस के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से मांग की गई। उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, नगर पंचायत अध्यक्ष, जिलाधिकारी, एसडीएम खागा को ज्ञापन देकर कई बार इस गंभीर प्रकरण के प्रति ध्यान दिलाया गया। पक्का तालाब किनारे दीप जलाए गए, विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर खून से खत लिखकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी से मांग की गई। रक्षाबंधन पर पक्का तालाब में रक्षासूत्र बांधकर जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट किया गया। आजादी की बुलंद गाथा का गवाह, ऐतिहासिक पक्का तालाब प्रशासन की अनदेखी से गंदगी और अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। तालाब के आस-पास तथा इसके अंदर गंदगी होने से दुर्गंध फैल रही है। ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए रखने के लिए पक्का तालाब का जीर्णाेद्धार कराया जाना नितांत आवश्यक व हितकारी है। व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष शिवचंद्र शुक्ला का कहना था कि यदि कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहा है तो आगामी दिनों में प्राचीन धरोहर की उपेक्षा करने पर जिम्मेदार अधिकारियों की चौखट पर प्रदर्शन किया जाएगा। कहा कि पक्का तालाब के लिए 18 लाख रुपये का बजट आवंटित हुआ था। तालाब किनारे नाला निर्माण कराने का कोई फायदा जलाशय को नहीं मिला। राम प्रसाद विश्वकर्मा, नास्त्रोदमस त्रिपाठी, रामशरण, राजेश विश्वकर्मा, सीताराम, मनोज, कुंवर सिंह, अभिषेक, शेर सिंह, सूरज सिंह, अतुल साहू, धीरज मोदनवाल, ऋषि केसरवानी, अंसार अहमद, ओमी मिश्र, अवधेश मिश्रा, चेतन बाजपेई, अजय गोस्वामी, राहुल आदि रहे।