मुजफ्फरपुर की सुनीता को जिंदा रहने के लिए किडनी की जरुरत है। डायलिसिस पर वो ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह सकती। किडनी कौन देगा ये बड़ा सवाल है। परिजन सरकार ने मदद की गुहार लगा रहे हैं।
बता दें कि जिले के बरियारपुर बाजी गांव में यूट्रस का ऑपरेशन कराने गई सुनीता की दोनों किडनी प्राइवेट हॉस्पीटल में निकाल ली गई थी। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। पटना के IGIMS में सुनीता को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया है। IGIMS में बड़ी मशक्कत के बाद पीड़िता का इलाज शुरू हुआ। सुनीता को जीने के लिए किडनी की जरूरत है।
अब ऐसे में बड़ा सवाल है कि सुनीता को किडनी कौन देगा? क्या सरकार किसी किडनी डोनर की व्यवस्था करेगी। परिवार का कोई सदस्य अपना किडनी देगा? सुनीता सिर्फ किडनी लगा देने की बात कह रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने केंद्र सरकार से 5 लाख और बिहार सरकार से 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का भरोसा दिलाया है। डॉक्टरों का कहना है कि सुनीता को जीने के लिए किडनी की ज़रुरत है। इधर, सुनीता के पिता लालदेव राम की मांग है कि सरकार किडनी डोनर की व्यवस्था करे।
क्या है पूरा मामला
मुजफ्फरपुर में शुभ कांत क्लिनिक में डॉक्टर ने महिला की किडनी ही निकाल ली। महिला पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंची थी। डॉक्टर ने कहा, उसका यूट्रस खराब हो गया है। ऑपरेशन करना पड़ेगा। परिवार वालों ने उसे भर्ती करा दिया। ऑपरेशन के बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई।
परिवार वाले उसे पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) लेकर पहुंचे। यहां जांच में पता चला कि उसकी किडनी ही नहीं है। जिसके बाद से सुनीता को SKMCH में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को उसे बेहतर इलाज के लिए IGIMS रेफर कर दिया गया। जहां सुनीता का डायलिसिस पर रखा गया है।
IGIMS के एक डॉक्टर ने बताया कि इलाज की प्रक्रिया सुनीता के आते ही शुरू कर दिया गया था। भीड़ ज्यादा होने की वजह से बेड देने में थोड़ा समय लग गया। डॉक्टर का कहना है कि सुनीता को अभी डायलिसिस पर रखा गया है। लेकिन मरीज को डायलिसिस पर ज्यादा दिन नहीं रखा जा सकता। जितनी जल्दी हो सके मरीज को किडनी लगाना होगा, नहीं तो मरीज को बचना मुश्किल है।