प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नामिबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा। पिंजरे में बंद चीते का एक वीडियो सामने आया है जिसमें उसे बोलते हुए देखा जा सकता है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चीते की आवाज को लेकर चुटकी ली है। अखिलेश ने ट्वीट करके कहा, ‘सबको इंतजार था दहाड़ का… पर ये तो निकला बिल्ली मौसी के परिवार का।
अखिलेश यादव के इस ट्वीट का दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अजय शेरावत ने मजाक उड़ा दिया। शेरावत ने ट्वीट करके कहा, ‘ये ऑस्ट्रेलिया से पढ़े हैं। सारा पैसा बर्बाद।’ उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा कि कोई अखिलेश भईया को बताओ बिल्ली, चीता और शेर अलग-अलग होते हैं। वहीं, सोशल मीडिया यूजर्स ने भी अखिलेश यादव को यह ज्ञान दिया है कि चीते दहाड़ते नहीं हैं।
चीतों की आवाज को लेकर क्या है सच्चाई?
पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि शेर, बाघ, तेंदुए और जगुआर के मुकाबले चीते दहाड़ते नहीं हैं। वहीं, नेशनल जियोग्राफिक की वेबसाइट के मुताबिक शेर, बाघ और तेंदुए की तरह चीता दहाड़ते नहीं हैं। बल्कि Purr (बिल्ली जैसे म्याऊं या घुरघुराहट वाली आवाज) करते हैं। चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है। हालांकि, वह आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता।
नामीबिया स्थित गैर लाभकारी ‘चीता कंजर्वेशन फंड’ (सीसीएफ) ने कहा कि चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं। उनके पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं। सीसीएफ के अनुसार, चीते की लंबी मांसपेशीय पूंछ एक पतवार की तरह स्थिर करने का काम करती है और उनके शरीर के वजन को संतुलित रखती है। शिकार की गतिविधि के अनुसार अपनी पूंछ घुमाते हुए उन्हें तेज गति से उनका पीछा करने के दौरान अचानक तीखे मोड़ लेने में मदद मिलती है।