पीएम मोदी बोले- जानवरों में लंपी रोग के खिलाफ वैज्ञानिकों ने तैयार किया देसी टीका

 

 

देश के कई राज्यों में फैले लंपी स्किन रोग और अन्य जानवरों की बीमारी का जिक्र करते हुए कहा कि, पिछले कुछ समय में भारत के अनेक राज्यों में लंपी नामक की बीमारी से पशुओं का नुकसान हुआ। राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इसे कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। हमारे वैज्ञानिकों ने लंपी रोग की स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार कर ली है।

उन्होंने कहा, भारत में हम पशुओं के यूनिवर्सल वैक्सीनेशन पर भी बल दे रहे हैं। हमने संकल्प लिया है कि 2025 तक हम शत प्रतिशत पशुओं को फुट एंड माउथ डिजीज़ और ब्रुसलॉसिस की वैक्सीन लगाएंगे। हम इस दशक के अंत तक इन बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। हमारे पास भैंस और गायों की जो नस्ल है, वह कठिन समय में भी खुद को ढालती हैं। पीएम मोदी ने बन्नी भैंस के बारे में बताया कि, गुजरात की बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है। क्योंकि गुजरात में दिन में भयंकर धूप होती है। विदेश से आए मेहमान यह सुनकर चौंक जाएंगे कि रात में भैंस के साथ उनका पशुपालक नहीं होता है। ये बन्नी भैंस 15 किमी. दूर चरते हुए निकल जाती हैं। सुबह होते ही वह घर पहुंच जाती हैं। पीएम ने कहा कि भारत, डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है। डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है। आधुनिक टेक्नोल़ॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं। हमने इसे नाम दिया है- पशु आधार।

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के बाद से हमारी सरकार ने भारत के डेयरी सेक्टर के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए निरंतर काम किया है। आज इसका परिणाम दूध उत्पादन से लेकर किसानों की बढ़ी आय में भी नजर आ रहा है। 2014 में भारत में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था। अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है। यानि करीब-करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर में महिला शक्ति 70 फीसदी कार्यबल का प्रतिनिधित्व करती है। भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलाएं हैं। इतना ही नहीं भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं। इस पूरी प्रकिया में बीच में कोई मिडिल मैन नहीं होता, और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जेब में ही जाता है। पूरे विश्व में इतना ज्यादा अनुपात किसी और देश में नहीं है।

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