सूझबूझ से रेखा व इंदुरानी की गोद में किलकारी मार रहे नौनिहाल – अस्पताल में शिशु का जन्म सबसे है सुरक्षित: सीएमओ – जन्म की तैयारी से जच्चा बच्चा रहते स्वस्थ – समझदारी से काम ले तो प्रसव में नहीं आयेगी परेशानी
फतेहपुर। शिशु के जन्म के पहले से अगर समझदारी से काम लें तो किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। गर्भवती महिला को प्रसव से पहले पूर्व तैयारी करनी चाहिए और आवश्यक सामग्री भी जुटा लेनी चाहिये। ऐसा मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 सुनील भारतीय का कहना है।
जिला महिला चिकित्सालय के जच्चा बच्चा वार्ड में लगभग 24 जच्चा बच्चा भर्ती है। शिवपुर की रेखा और दौलतपुर की इन्दुरानी की गोद में नौनिहाल खेलते नजर आये। इन्दुरानी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जिला अस्पताल में इलाज चला इसलिये प्रसव भी यहीं कराया। इसी प्रकार रेखा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया लेकिन घरवालों ने प्रसव जिला अस्पताल में कराने का निर्णय लिया और सुरक्षित प्रसव हो गया। रेखा ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया तो उनके परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 सुनील भारतीय ने बताया कि अस्पताल में शिशु का जन्म सबसे सुरक्षित है। इसके लिये पहले से ही आशा द्वारा जन्म योजना तैयार करा दी जाती है। गर्भ का पता चलते ही आशा कार्यकर्ता शिशु जन्म की तैयारी कराती है। पहले गर्भवती की प्रसव पूर्व सभी जांचे कराती है। उन्हे सुपोषित आहार लेने की सलाह दी जाती है। टीडी का टीका लगाया जाता है। अल्ट्रासाउंड किया जाता है। जैसे ही प्रसव की तिथि नजदीक आने वाली होती है तो एक झोले में मां व शिशु के लिये आवश्यक सामग्री रखने के साथ अस्पताल का चयन किया जाता है। प्रसूता के साथ में कौन जायेगा। घर की देखभाल कौन करेगा आदि सभी तैयारियां गर्भावस्था के दौरान करा दी जाती है। जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. रेखारानी ने बताया कि अस्पताल में प्रसव कराने से शिशु मृत्यु दर में कमी आती है यदि कोई परेशानी होती है तो इलाज होने में विलंब नहीं होता है। सामान्य प्रसव में तीन दिन व आपरेशन से प्रसव होने पर प्रसूता को सात दिन अस्पताल में पौष्टिक आहार की सुविधा होती है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसूता को 1400 रूपये भी दिये जाते हैं। जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता आलोक कुमार ने बताया कि जन्म से पहले की तैयारी करने से अस्पताल पहुंचने में विलंब नहीं होता है। इससे सही समय पर इलाज मिल जाता है। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या से मां व नवजात को सुरक्षा मिलती है। मां व नवजात की देखभाल के लिये सभी अस्पतालों में आवश्यक सामग्री का पहले से इंतजाम रहता है। उन्होंने बताया कि प्रसव के दौरान कोई भी मुश्किल होने पर इसे प्रशिक्षित नर्स या डाक्टर ही संभाल सकते है। जैसे मां के शरीर से खून का अधिक बहने या जन्म के तुरंत बाद शिशु का न रोना आदि का इलाज घर पर संभव नहीं है। इस कारण अस्पताल में प्रसव कराना ही सबसे अच्छा है। असोथर निवासी सीमा बताती हैं कि उन्होंने अपनी क्षेत्रीय आशा आरती के बताये अनुसार शिशु जन्म की योजना बना ली है। मैंने गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में टीकाकरण करा लिया है अल्ट्रासाउंड भी हो चुका है। जिसमे बच्चा स्वस्थ है। हमने असोथर स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने की योजना बनाई है। इसके लिये 102 एंबुलेंस का नंबर नोट कर लिया है। परिवार मे बता दिया है कि तीस मिनट के पहले ही एम्बुलेंस से संपर्क कर लिया जाये।