पुलिसिया कार्यवाही से आहत पत्रकारों का चल रहा अनशन,प्रसाशन बना मूकदर्शक

न्यूज़ वाणी

पुलिसिया कार्यवाही से आहत पत्रकारों का चल रहा अनशन,प्रसाशन बना मूकदर्शक

मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ

बाँदा। ग्रामीणों द्वारा दी गयी अवैध खनन की सूचना पर 25 सितम्बर को सात पत्रकारों की टीम नरैनी थाना क्षेत्र के लहुरेटा बालू खदान मे कवरेज करने गयी थी जहाँ पत्रकारों को खनन माफियाओ ने बैठा लिया और नरैनी सिओ – व थानाध्यक्ष को फोन करके बुला लिया मौके पर पहुँचे थानाध्यक्ष नरैनी व सिओ नरैनी ने बालू माफियाओ की झूठी तहरीर पर बिना जांच के पत्रकारों के विरूध्द रंगदारी सहित गम्भीर धाराओं मे मुकदमा दर्ज कर लिया और पत्रकारों को अपने आवास ले जाकर उनके साथ बदसलूकी की और मारपीट किया और तानाशाही रवैया को अपनाते हुए उन्हें जेल भेज दिया जैसे ही जिले के पत्रकारों को मामले की जानकारी हुई तो पत्रकारों के समूह ने जिलाधिकारी अनुराग पटेल के कार्यालय पहुँचकर अपने पत्रकार साथियों के साथ हुए दुर्व्यवहार की पीड़ा सुनाना चाहा पर डीएम अनुराग पटेल ने अपने एसी चेम्बर से बाहर निकलना और पत्रकारों की समस्या का समाधान करना उचित नहीं समझा जिससे पत्रकार निराश हो गये और जनपद के अशोक लाट अनशन स्थल मे अनशन पर बैठ गये अनशन कारी पत्रकारों को कई दलों का समर्थन भी मिल रहा है पर जिला प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा हुआ है ।अनशन पर बैठे पत्रकारों की माँग है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच हो औ पत्रकारों के विरूध्द लिखे गये झूठे मुकदमे वापस हो और दोषियो पर कार्यवाही हो । योगी सरकार मे पत्रकारों के ऊपर झूठे मुकदमे तो लग रहे है पर अपराधियों और बालू माफियाओ को प्रशासन का संरक्षण जरूर प्राप्त हो रहा आश्चर्य की बात तो यह है कि जब आम जनमानस की आवाज बुलंद करने वाले कलमकार जेल की सलाखों में होंगें तो आम पब्लिक की आवाज को कौन बुलंद करेगा? भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी सहित अनैतिक कार्य करने वाले अपराधियों की घिनौनी करतूत को कौन उजागर करेगा ? जब पत्रकार ही दमन जुल्म ज्यादति का शिकार हो रहे हैं तो आम जनता का क्या हाल होगा? यह सवाल साशन प्रसाशन मे बैठे लोगों को गम्भीर रूप से सोचने का विषय है। आखिर देश के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया को भी अपनी बात कहने के लिए अनशन पर बैठना पड़ रहा है तो यह देश की आम जनता की कौन सुनेगा?

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