रात 8 बजे। 500 फीट गहरी खाई। 50 बारातियों से भरी बस गिरने की सूचना। अब चुनौती थी इनके रेस्क्यू की। अंधेरा और मुश्किल पहाड़ी इलाका। ऊपर से गहरी खाई में खुद के गिर जाने का डर, लेकिन पौड़ी गढ़वाल के लोगों ने इस डर को मार दिया।
स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू टीम से दो कदम आगे निकलते हुए वो रोल निभाया, जिसके बिना जिंदगियों को बचाना मुश्किल था। हादसे में 25 की मौत हुई है, लेकिन 21 जानें बचाई गई हैं।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में मंगलवार रात एक बस 500 मीटर गहरी खाई में गिर गई। ये बस 50 बारातियों को लेकर हरिद्वार के लालढांग से काड़ागांव जा रही थी। सिमड़ी गांव के पास ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और हादसा हो गया।
रात का वक्त था। गहरी खाई और मुश्किल पहाड़ी हालात। बारातियों के रेस्क्यू में यही बड़ी चुनौतियां थीं। लेकिन, रेस्क्यू टीम से पहले स्थानीय लोग पहले ही घटना स्थल पर पहुंचे। इन्हें इलाके की भी जानकारी थी पर गहरी खाई का डर भी। लेकिन, मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर ये बरातियों को ढूंढते रहे।
SDRF की टीम हादसे के करीब 2 घंटे बाद मौके पर पहुंच पाई। इससे पहले स्थानीय लोग और पुलिस 9 लोगों को बचा चुकी थी। एक चश्मदीद ने बताया कि जब हमने मोबाइल की लाइट में बारातियों को खोजना शुरू किया तो कुछ शव ऐसे दिखे, जो कई टुकड़ों में बंट चुके थे। कई घायल भी थे, जिन्हें वक्त पर इलाज मिल गया।
दूल्हे की कार के सामने भी आया था सांप, पर वह हादसे से बच गई
कुछ और रिपोर्ट्स में घटना के प्रत्यक्षदर्शियों की आंखोंदेखी बताई गई है। एक रिपोर्ट में दूल्हे की कार चला रहे ड्राइवर ने कहा कि जब हम लौट रहे थे, तब कार के सामने सांप आ गया। ड्राइवर ने कहा कि मैंने ब्रेक मार दिया था। इसके बाद पीछे आ रही बस ने हमें ओवर टेक किया। चंद मिनट बाद ही वह खाई में गिर गई थी।
धामी कंट्रोल रूम पहुंचे, तब तक रेस्क्यू टीम मौके पर नहीं पहुंची थी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऑपरेशन के दौरान खुद अधिकारियों को फोन पर निर्देश देते रहे। वो रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कंट्रोल रूम में मौजूद थे। जब धामी कंट्रोल रूम पहुंचे, तब तक रेस्क्यू टीम मौके पर नहीं पहुंची थी। ऑपरेशन पूरा होने के बाद धामी ने कहा कि रेस्क्यू मिशन में पुलिस और SDRF के अलावा स्थानीय लोगों की अहम भूमिका रही है।