केरल में NCB और नौसेना के एक ज्वॉइंट ऑपरेशन में 200 किलो हेरोइन पकड़ी है। इसकी कीमत करीब 1200 करोड़ रुपए है। ड्रग्स का इतना बड़ा जखीरा एक ईरानी जहाज में मिला।
इससे पहले 16 अगस्त 2022 को गुजरात के मोक्षी गांव से 200 किलो अवैध ड्रग्स पकड़ी गई। जिसकी कीमत करीब 1 हजार करोड़ रुपए आंकी गई। उसी दिन अंकलेश्वर से 513 किलो MD ड्रग्स पकड़ी गई। इसकी कीमत करीब 1 हजार 26 करोड़ बताई गई।
देश के सभी राज्यों से पूरे साल में जब्त ड्रग्स की कीमत जोड़ें तो कई राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा होती है। ऐसे में अकसर यह सवाल उठता है कि जब्त किए गए करोड़ों के ड्रग्स का आखिर होता क्या है?
सबसे पहले समझना होगा कि ड्रग्स किसे कहते हैं?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार ड्रग का मतलब है दवा। वही दवा जो हम और आप बीमार होने पर लेते हैं। WHO लिखता है कि ऐसी कोई भी दवा या फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट जो इंसान या जानवर की बीमारी का पता लगाने और उसे ठीक करने के लिए दिए जाते हैं, उन्हें ड्रग कहते हैं। ड्रग, दवा और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट को आमतौर पर एक ही अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है।
अगर ड्रग का मतलब दवा है तो पुलिस इन्हें क्यों पकड़ती है?
असल में ऐसी कई दवाएं हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। सरकार ने लगभग 444 ऐसे ड्रग बताएं हैं जो भारत में बैन हैं। इनको सीधे या किसी और दवा के साथ लेना गैर-कानूनी है। साथ ही कई ऐसे ड्रग हैं जिन्हें एक तय मात्रा में लेना तो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इनकी ज्यादा मात्रा हमें नुकसान पहुंचा सकती है।
आपने देखा होगा कि आपकी दवाइयों पर सभी ड्रग्स की मात्रा भी लिखी होती है। ये सब नारकोटिक ड्रग्स और सायकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS), 1985 के तहत तय होता है। भारत में बैन ड्रग्स में चरस, गांजा, कोकेन, हेरोइन, LSD, मॉरफीन, ओपियम जैसे ड्रग्स आम लोगों में प्रचलित हैं। बहुत से लोग इनसे नशा करते हैं, इसलिए जब किसी के पास ये पाए जाते हैं तो पुलिस इन्हें जब्त कर लेती है।
अब उस सवाल पर आते हैं, जिससे इस एक्सप्लेनर की शुरुआत हुई थी। यानी जब्त किए गए करोड़ों के ड्रग्स का आखिर होता क्या है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने NCB के एक पूर्व अधिकारी से बात की और सुप्रीम कोर्ट के यूनियन ऑफ इंडिया वर्सेज मोहनलाल एंड अदर्स केस को पढ़ा। इसके अलावा NDPS एक्ट का सेक्शन 52A भी जब्त किये गए ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों को नष्ट करने का प्रॉसेस बताता है। जुटाई गई जानकारियों को हम पॉइंटर्स में पेश कर रहे हैं…
- ड्रग्स को जब्त करने वाला अधिकारी, तुरंत मामले की जानकारी नजदीकी पुलिस थाने में देता है।
- फिर उस पुलिस स्टेशन के इंचार्ज या NDPS एक्ट के सेक्शन 53 के तहत नियुक्त किए अधिकारी को 48 घंटों के अंदर जब्त किए ड्रग्स को सरकारी मालखानों में जमा करना होता है।
- इन मालखानों में जो इंचार्ज होता है, वह जब्त किये गए सामान को डबल लॉकिंग सिस्टम वाली सुरक्षा में रखते हैं। जिसको मेजिस्ट्रेट के आदेश तक वहीं रखना होता है।
- इसके बाद नियुक्त किया गया अधिकारी मेजिस्ट्रेट की इजाजत के बाद, जब्त किए ड्रग्स की जांच करता है। जिसके तहत उसे एक पंचनामा तैयार करना होता है। साथ ही पकड़े गए ड्रग्स का कुछ सैंपल कैमिकल लैब में जांच के लिए भी भेजा जाता है। जिससे यह पता चलता है कि जब्त किया सामान नशीला पदार्थ है या नहीं।
- पंचनामा में जब्त किए ड्रग्स की तस्वीरें, उसके पैकिंग का तरीका और केमिकल लैब में भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट शामिल होती है।
- इसके बाद पंचनामा मेजिस्ट्रेट के आगे पेश किया जाता है। अगर, केमिकल लैब की रिपोर्ट में यह सामने आता है कि जब्त किया गया सामान नशीला है, तो आमतौर पर मजिस्ट्रेट उसे जला देने का आदेश देता है।
- इसके बाद इन ड्रग्स को शहर के बाहर पुलिस एस्कॉर्ट की मदद से ले जाया जाता है।
- यहां पर इंसिनरेटर्स में या गड्ढा खोद कर इन ड्रग्स को जला दिया जाता है। जिससे यह ड्रग्स और दूसरे नशीले पदार्थ नष्ट हो जाते हैं।
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ड्रग्स को नष्ट करने के लिए NCB ने चलाई थी 75 दिनों की मुहिम
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों को नष्ट करने की एक मुहिम चलाई थी। यह 75 दिनों का स्पेशल कैंपेन 1 जून से 15 अगस्त तक चलाया गया था। इसमें 75,000 किलो ड्रग्स को नष्ट करने का टारगेट था, लेकिन 30 जुलाई 2022 तक ही 82,000 किलो ड्रग्स नष्ट कर दी गई। सिर्फ 30 जुलाई को ही NCB ने 4 शहरों- दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और गुवाहाटी में 30 हजार किलो से ज्यादा ड्रग्स जलाई थी।भारत में इतनी आसानी से कैसे आ जाते हैं ड्रग्स?
भारत गोल्डन क्रीसेंट और गोल्डन ट्राइएंगल जैसे बड़े ड्रग नेटवर्क्स के बीच में आता है। इस वजह से यह ड्रग तस्करों के लिए एक ट्रेड रूट और अच्छे बाजार का काम करता है। सोशल जस्टिस और इंपावर्मेंट मिनिस्ट्री ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि देश में 23 लाख लोग नशे के शिकार हैं। इसलिए यहां ड्रग्स की खपत भी ज्यादा है।