अन्नदाता की आंखों में आंसू, माथे पर चिंता की लकीरें – बारिश बनी दैवीय आपदा, हज़ारों बीघे धान की फसल बर्बादी की कगार पर
फतेहपुर। पिछले एक माह से रुक-रुक हो रही बारिश जहां किसानों के लिये आफत का रूप धारण किए हुए थी वहीं पिछले तीन दिनों से बारिश के रौद्र रूप ने किसानों की हजारों बीघे धान की फसल बर्बाद करने के साथ ही उनके सपनों पर पानी फेर दिया है। मूसलाधार बरसात से कटने के लिये तैयार धान की फसल गिरकर नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुकी है। बर्बाद होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गयी हैं। धान की फसल के कीमत मिलने के बाद उस रकम से आगे से आगे के कई काम करने के किसानो के सपने भी धान की फसल के साथ ही खेतो में समा चुके है।
दोआबा की उपजाऊ भूमि पर होने वाली खेती में धान की पैदावार का अहम योगदान होता है। किसान मनसूरी, रामराज, शर्बती समेत अनेक प्रजातियों की नर्सरी तैयार कर जून, जुलाई माह तक बुआई के पश्चात खेतो में खाद व कीटनाशक का छिड़काव करके अच्छी फसल की उम्मीद करता है। अपनी अच्छी सफल की उम्मीद में अन्नदाता बीज से लेकर खाद व दवाइयों की खरीद के लिये कर्जे भी लेकर अपनी ज़रूरतें पूरी करता है। जिन्हें फसल बाद लौटाता है। इस वर्ष सितंबर एव अक्टूबर के माह में बारिश होने से किसानों की धान की कटने की कगार पर खड़ी धान की फसल पूरी तरह डूबकर या तो बर्बाद हो चुकी है या बर्बादी के मुहाने खड़ी है। फसलों के दाम मिलेने की उम्मीद संजोने वाला किसान लगातार हो रही बारिश से अपनी फसलों के साथ अपनी उम्मीदों और सपनों को भी डूबते हुए व बहते हुए देखकर आंसू बहा रहा है।
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बर्बाद फसल का पूर्व में नहीं मिला मुआवजा
फतेहपुर। किसानों की माने तो पिछले वर्ष बरसात की वजह से धान की फसल को हुए नुकसान के बावजूद बीमा कंपनियों ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पैसा देने से इंकार कर दिया था। बीमा कंपनियों ने किसानों को बारिश की वजह से धान की फसल को नुकसान होने को सिरे से नकार दिया था। इस बार भी बरसात में जलमग्न हुई धान की फसल की बर्बादी के बाद किसान मुआवजा न मिलने को लेकर चिंतित दिखाई दे रहा है।
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पहले कर्ज़ में डूबा अब सदमे में किसान
फतेहपुर। बीज से लेकर खाद एवं कीटनाशक की खरीद के नाम पर पहले ही जमापूंजी या फिर साहूकारों से कर्ज लेकर लगा चुका किसान अब धान की उपज की बर्बादी से सदमे में है। किसान कभी बरसात में डूबी अपनी धान फसल देखकर आंसू बहाता हुआ दिखाई दे रहा है तो कभी शून्य की ओर निहार कर ऊपरवाले से अपनी बदहाली की शिकायत कर रहा है।