26 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर दिवाली मनाने अयोध्या पहुंचा

 

अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में भव्य दीपोत्सव मनाया गया। रिकॉर्ड 17 लाख 76 हजार दीप जले। करीब 3 लाख लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। इन्हीं में से एक मेहुल भारत यात्री थे। 26 हजार किलोमीटर की यात्रा करके अयोध्या के दीपोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे।

नागपुर से हैं मेहुल भारत यात्री
मेहुल नागपुर के हैं। पेशे से टीचर मेहुल एमपी के होशंगाबाद जिले में रहते हैं। भारत यात्रा पर निकले हैं इसलिए नाम के पीछे ‘भारत यात्री’ लग गया है। पिछले साल के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस यानी 21 जून 2021 को उन्होंने यह साइकिल यात्रा शुरू की। पिछले 16 महीने में वह 26 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं।

अयोध्या नहीं आना था लेकिन दिवाली और मोदी खींच लाए
अयोध्या में मेहुल हमें सीता-राम की निकाली गई झांकियों के बीच साइकिल से आते मिले। हमने रोका तो उन्होंने अपने बारे में बताना शुरू किया। मेहुल ने बताया, “मेरा अयोध्या आने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन यहां की दिवाली के बारे में इतना सुन रखा था कि 1 महीने पहले ही तय कर लिया था कि यहां की दिवाली में शामिल होना है। पीएम मोदी के आने की खबर ने खुशी को दोगुना कर दिया।”

लोग हेल्थ के प्रति जागरूक हो इसलिए यात्रा शुरू की
यात्रा का मकसद पूछने पर मेहुल बताते हैं, “लोगों को हेल्थ के प्रति जागरूक करने के लिए मैने 1 लाख किलोमीटर लंबी साइकिल यात्रा की शुरुआत की है। इस यात्रा से यह संदेश भी देना है कि साइकिल चलाने से आप बीमार नहीं होंगे, सड़कों पर प्रदूषण कम होगा। लोग प्रकृति से जुड़ेंगे तो सब कुछ बेहतर होगा।”

एक दिन में 120 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंचे अयोध्या
मेहुल अब तक 26 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। उनकी यात्रा एमपी के होशंगाबाद से शुरू हुई थी। वह राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गोवा, दमन दीव की यात्रा पूरी कर चुके हैं। इस वक्त यूपी में हैं। अयोध्या की दीवाली छूट न जाए इसलिए मेहुल ने पिछले हफ्ते एक दिन में ही 120 किलोमीटर साइकिल चला दी। आम तौर पर एक दिन में 50 से 70 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं।

कभी स्कूल, तो कभी आश्रम में रात गुजारते हैं
दिनभर साइकिल चलाने के बाद मेहुल रात में स्कूलों में रुकते हैं। अगर स्कूल नहीं मिला तो आश्रम, गुरुद्वारा खोजते हैं। अगर यह भी नहीं मिला तो खुद का टेंट लगाते हैं और उसी में सो जाते हैं। मेहुल बताते हैं “पिछले एक साल में बहुत मुसीबतें आई। बीमार हुआ तो यात्रा भी रोकनी पड़ी। कभी समुद्र में मोबाइल चला गया। एकबार तो गाड़ी के नीचे आते आते बचा था। लेकिन जब ठान लिया है कि यात्रा पूरी करनी है तो फिर रुकेंगे नहीं।”

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