एसएनसीयू बना वरदान, नवजातों की बचा रहा जान – अप्रैल 2021 से सितंबर 2022 तक 1342 शिशुओं का एसएनसीयू में मिला इलाज – महिला अस्पताल में हैं एसएनसीयू का 15 बेड का वार्ड

फतेहपुर। जिगनी गांव की राबिया ने 24 सितंबर को निजी अस्पताल में शिशु को जन्म दिया। इसके बाद शिशु की हालत खराब होने लगी। पिता नूर आलम ने बताया कि डॉक्टर ने बताया कि गंदा पानी चला जाने के कारण बच्चे को झटके आ रहे हैं। बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन आराम नहीं मिला था। इसके बाद जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया। दस दिन में बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
असनी गांव की आशा ने हुसेनगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिशु को जन्म दिया। जन्म से ही नवजात को सांस लेने में दिक्कत थी। इससे चिकित्सा प्रभारी ने जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। परिजन बच्चे को पहले निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन आराम नहीं मिला। पिता शुभम सोनी ने बताया कि बच्चे को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया। करीब दो सप्ताह में बच्चे को बहुत आराम मिला। राबिया और आशा के बच्चे तो सिर्फ बानगी भर हैं। ऐसे अनगिनत मामले हैं जो जिला महिला अस्पताल और एसएनसीयू के सहारे नवजात नया जीवन पा रहे हैं। इस वार्ड में जिला महिला अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों पर पैदा होने वाले बच्चों को भी भर्ती कराया जाता है। बाहर के अस्पतालों में यह सुविधा बहुत ही महंगे दामों में उपलब्ध है जबकि यहां निशुल्क है। जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में अप्रैल 2021 से सितंबर 2022 तक 1342 शिशुओं को इलाज मिल चुका है। नवजात के लिए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट यानि एसएनसीयू वरदान साबित हो रही है। शिशुओं में जन्म के बाद होने वाली विभिन्न परेशानियों के बाद उन्हें एसएनसीयू में भर्ती किया जाता है। तमाम जीवन रक्षक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस वार्ड शिशुओं की जान बचा रहा है। चिकित्सक व पैरामेडिकल कर्मी 24 घंटे नवजात शिशु पर सतर्क निगाह रखते हुए निगरानी करते रहते हैं। नवजात के स्वस्थ होने के बाद परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाता है।
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एसएनसीयू में यह हैं सुविधायें
फतेहपुर। जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्साधीक्षक डा0 रेखारानी ने बताया कि 15 बेड के साथ संचालित एसएनसीयू वार्ड में नवजात शिशुओं के इलाज के लिये सभी जरूरी सुविधायें उपलब्ध है। वार्मर, सी-पैप मशीन और केंद्रीयकृत आक्सीजन आपूर्ति की सुविधा दी जाती है। एसएनसीयू से इलाज के बाद घर गये शिशुओं को एक साल तक छह बार फालोअप के लिये बुलाया जाता है। शिशु के स्वस्थ का नियमिति चेकअप होता है। माता पिता को देखभाल की जानकारी दी जाती है।
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इन बीमारियों से मिलती निजात
फतेहपुर। एसएनसीयू प्रभारी डा0 प्रशांत ने बताया कि नवजातों में आमतौर पर सांस लेने में समस्या, कम वजन, हदय गति सही तरह काम न करने, आरडीएस, बर्थ एस्फिक्सिया जैसी कई तरह की बीमारियां हो सकती है। इसमें तुरंत इलाज मिलना आवश्यक होता है।
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नवजात के लिए वरदान बना वार्ड
फतेहपुर। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुनील भारती ने कहा कि नवजातों को तमाम प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होने के बाद एसएनसीयू में भर्ती किया जाता है। बच्चों को उचित देखभाल के साथ ही बेहतर इलाज दिये जाने का प्रयास किया जाता है। नवजातों के लिये यह वार्ड वरदान साबित हो रहा है।

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