प्राइवेट पार्ट और पैर खा गए मांसाहारी बैक्टीरिया, कूल्हे के जख्म से शरीर में घुसे, डॉक्टर भी नहीं पहचान पाए

 

बात 16 अक्टूबर की है। 44 साल के मृमोय राय कोलकाता के पास चलती ट्रेन से गिर गए। बाकी शरीर पर तो उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई, लेकिन वहां पड़ी एक लोहे की रॉड उनके कूल्हे में घुस गई। उन्हें पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने रॉड निकालकर जख्म की मरहम पट्टी कर दी। दो दिन बाद मृमोय राय की हालत बिगड़ने लगी। जख्म बढ़ता गया और बुखार तेज होता गया।

7 दिन बाद घबराए डॉक्टरों ने उन्हें आरजीकेएमसीएच अस्पताल कोलकाता भेज दिया। जहां 5 दिन बाद 28 अक्टूबर को मृमोय राय की मौत हो गई। पता चला कि उनके जख्म में मांस खाने वाला बैक्टीरिया घुस गए थे। वो तेजी से फैले और उसके पैर और प्राइवेट पार्ट्स के मांस को खा गए। साथ ही फेफड़ों को छलनी कर दिया।

ये इंसानों को बीमार करने वाले कोई आम बैक्टीरिया नहीं थे, जिनका इलाज एंटीबायोटिक्स दवा से हो जाता है। ये इतने विरले हैं कि 50 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका जैसे विकसित देश में भी हर साल 400 से 500 लोग इसके शिकार बनते हैं।

सवाल- 1: ये ‘मांस खाने वाला बैक्टीरिया’ क्या है?
जवाब
: वैज्ञानिक भाषा में मांस खाने वाले बैक्टीरिया को ‘नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस’ कहते हैं। ये शरीर में किसी जख्म या कटी-फटी त्वचा के रास्ते घुसते हैं। इस बैक्टीरिया का खाना इंसान की कोशिकाएं और ऊतक यानी टिश्यू होते हैं।

टिश्यू कोशिकाओं से बने होते हैं और एक जैसे टिश्यू से मिलकर अलग-अलग अंग बनते हैं। ये शरीर में घुसने के बाद काफी तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं और अंगों को खाने लगते हैं।

सवाल- 2: ये बैक्टीरिया कितना खतरनाक होता है?
जवाब
: यह बैक्टीरिया इतना ज्यादा खतरनाक होता है कि इससे संक्रमित होने के एक सप्ताह के अंदर शख्स की मौत हो सकती है। डॉक्टरों ने कहा कि यह बैक्टीरिया तेजी से उसके पैर और प्राइवेट पार्ट का मांस खा रहा था।

  • यह बैक्टीरिया शरीर में घुसते ही सबसे पहले ‘ब्‍लड सेल’ या रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। इससे शरीर में खून का एक जगह से दूसरे जगह जाना बंद हो जाता है। इसकी वजह से शरीर के कई अंगों में खून की कमी होने लगती है।
  • शरीर के किसी हिस्से में बैक्टीरिया के घुसते ही फेफड़े तक पहुंचने में इसे ज्यादा समय नहीं लगता है। फिर सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति की एक सप्ताह के अंदर मौत हो सकती है।
  • अमेरिका की संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC ने अपनी रिसर्च में पाया कि ‘मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ से संक्रमित हर 3 में से 1 मरीज इसी वक्त एक और इंफेक्शन के शिकार होते हैं।
    • इस दूसरे इंफेक्शन का नाम ‘स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक’ है। ये भी एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। इसकी वजह से तेजी से ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और व्यक्ति की मौत हो सकती है।

    सवाल- 3: इस बैक्टीरिया का इंफेक्शन शरीर में कैसे फैलता है?
    जवाब: किसी व्यक्ति के शरीर में मांस खाने वाले बैक्टीरिया के इंफेक्शन फैलने को लेकर 3 तर्क हैं..

    पहला तर्क: RGKMCH अस्पताल कोलकाता में सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर हिमांशु रॉय ने कहा, ‘इस बात की संभावना है कि लोहे की रॉड के कूल्हे में घुसने के वक्त ही ये बैक्टीरिया शरीर में घुस गया हो।’ हिमांशु का कहना है कि एक बार शरीर में घुसने के बाद ये बैक्टीरिया नाजुक टिश्यू तक पहुंचकर उसे भी संक्रमित कर देते हैं। इसके बाद तेजी से इंफेक्शन फैलाते हैं।

    दूसरा तर्क: कुछ रिसर्चर का मानना है कि ये बैक्टीरिया पहले से ही शरीर के बाहरी हिस्से जैसे- नाक, गले और त्वचा पर होते हैं। ये तब तक नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जब तक ये शरीर के अंदर नहीं घुस जाते हैं। कटी-फटी त्वचा के जरिए ये शरीर में घुसते हैं। इसके बाद दिल, फेफड़ों या मांसपेशियों में इंफेक्शन तेजी से फैलाते हैं।

    तीसरा तर्क: डॉक्टर जेफ इसबिस्टर ने इस बैक्टीरिया पर 2004 में रिसर्च की थी। उनका कहना है कि मकड़ी या किसी कीट के काटने से नहीं बल्कि ये इंफेक्शन घाव, खुजली आदि में होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन के जरिए फैलता है।

    सवाल- 4: डॉक्टर इस बैक्टीरिया के इंफेक्शन का पता कैसे करते हैं?
    जवाब
    : मांस खाने वाले बैक्टीरिया से कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ है या नहीं ये बात डॉक्टर तीन तरह से पता करते हैं…

    • बॉयोप्सी: जांच के लिए शरीर के टिश्यू का सैंपल लिया जाता है।
    • ब्लड प्रेशर मापकर: इस इंफेक्शन का कितना असर ब्लड फ्लो पर पड़ रहा है, इसे जानने के लिए समय-समय पर ब्लड प्रेशर जांचकर डॉक्टर पता करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये फेफड़े को भी तेजी से संक्रमित करता है।
    • CT स्कैन, MRI और अल्ट्रासाउंड: शरीर के अंदर के इंफेक्शन को पता करने के लिए ये तरीका अपनाया जाता है।

    इन तीनों जांच रिपोर्ट के आधार पर ही डॉक्टर पता कर पाते हैं कि कोई व्यक्ति मांस खाने वाले बैक्टीरिया से संक्रमित है या नहीं है।

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