हवन यज्ञ भंडारे के साथ श्री मद भागवत का हुआ समापन

खागा/फतेहपुर। विजय नगर में प्रवीण पाण्डेय जय बुंदेलखंड के यहां चल रही भागवत कथा संपन्न हो गई। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण किया। भागवत कथा का आयोजन पांडेय परिवार की ओर से करवाया गया था। कथा व्यास संजय राम जी शुक्ला ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। संजय राम ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक संजय राम जी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के बाद विधिविधान से पूजा करवाई। दोपहर तक और भंडारा कराया गया। इसमें यजमान सुमन पाण्डेय, राम मूरत पाण्डेय ने अपने परिवार के साथ आहुति डाली। नगर से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली। पूजन के बाद दोपहर को भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया। इस अवसर पर संघ के विभाग सह कार्यवाह कृष्ण स्वरूप, जिला कार्यवाह राम अभिलाष, प्रचारक चंदन, नगर संघचालक उदय प्रताप, स्वर्णिम कौशल, रितेश गुप्ता, प्रणेश त्रिपाठी, प्रदीप पांडेय, त्रिवेणी प्रसाद तिवारी, धर्मेंद्र त्रिपाठी, ज्ञानेंद्र सिंह, शिवचंद शुक्ला, धर्मेंद्र सिंह, विमलेश सिंह, धीरेंद्र सिंह आदि रहे।

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