ट्विटर से जुड़ने वाली पहली इंडियन नहीं देंगी 650 रुपए, 16 साल पहले एक ईमेल से जुड़ी थीं, जानिए- अब ब्लू टिक क्यों पसंद नहीं

 

नैना 16 साल से ट्विटर पर एक्टिव हैं और उनके पास भी ब्लूटिक है, जिसे लेकर इन दिनों हल्ला मचा हुआ है। ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने कह दिया है- ब्लू टिक चाहिए तो महीने के 8 डॉलर यानी करीब 650 रुपए देने पड़ेंगे।

नैना से बात की और जाना कि 16 साल में ट्विटर कितना बदल गया। उनसे वो सवाल भी पूछा जो सबसे ज्यादा चर्चा में है- क्या आप ब्लू टिक के लिए ट्विटर को 650 रुपए देंगी।

सवाल : आपने ट्विटर कैसे जॉइन किया, कैसे पता चला कि ट्विटर जैसी भी कोई चीज है?

जवाब : मैं साल 2004 से इंटरनेट पर एक्टिव थी। ब्लॉगिंग करती थी। ऑरकुट-फेसबुक सहित जो भी नए प्लेटफॉर्म आए उनसे जुड़ी। चूंकि मैं बहुत ज्यादा एक्टिव थी, इसी दौरान TWTTR से मेरे पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ने का इन्विटेशन आया, जो मैंने एक्सेप्ट कर दिया। तब मुझे पता नहीं था ये इतना बड़ा प्लेटफॉर्म बन जाएगा।

सवाल : आपके बायो में कहीं भी जिक्र नहीं है कि आप ट्विटर यूज करने वाली पहली इंडियन हैं, इसकी कोई खास वजह?

जवाब : ये कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसके लिए मैंने मेहनत की। ये तो तुक्के में हो गया। मुझे नहीं लगता कि ये मेंशन करने लायक चीज है। इसके बजाय मैं जो काम करती हूं, उससे आइडेंटिफाई होना ज्यादा पसंद करती हूं।

सवाल : ट्विटर के बाद दोबारा किसी नए प्लेटफाॅर्म पर नंबर 1 बनने की कोशिश नहीं की?

जवाब : मैंने तो ट्विटर पर भी ये कोशिश नहीं की, बाय चांस हो गया था। उन दिनों जो भी नए प्लेटफॉर्म आए, जो मुझे थोड़े भी इंटरेस्टिंग लगे तो मैंने ज्वॉइन कर लिया। किसी भी प्लेटफॉर्म की पहली यूजर का तमगा हासिल करने की कोई ख्वाहिश नहीं थी।

सवाल : ब्लू टिक के लिए पैसे न देने की खास वजह?

जवाब : पिछले कुछ सालों में ब्लू टिक का मतलब बदल गया है। शुरुआत में ये फेमस लोगों के लिए था, ताकि लोग अकाउंट देकर पहचान कर सकें। अब ये स्टेटस सिंबल और ईगो का सवाल बन गया है। लगता है ब्लू टिक है तो ठीक, नहीं है तो न सही।

सवाल : आप ट्विटर पर अकेली इंडियन थीं, वो एक्सपीरियंस कैसा था?

जवाब : 2006 में मैं मुंबई में नौकरी करती थी। उस वक्त ट्विटर पर सिर्फ वो लोग थे, जो ट्विटर में नौकरी करते थे। वो लोग आपस में ही एक दूसरे को मैसेज करते थे, चलो कॉफी पीकर आएं। तब मैं सोचती थी- मैं किसे मैसेज करूं, क्योंकि उस वक्त परिचित तो दूर कोई इंडियन भी ट्विटर पर नहीं था। इसी वजह से अकाउंट तो बन गया, लेकिन मैंने एक साल तक ट्विटर यूज ही नहीं किया, क्योंकि कोई था ही नहीं, जिससे बात कर सकें।

सवाल : क्या 16 साल में ट्विटर बदल गया है?

जवाब : बहुत ज्यादा बदल गया है। पहले जब आप कोई काम की बात कर रहे हो तो लोग जवाब देते थे, हेल्प करते थे, जिनसे शायद जिंदगी में मिलने की संभावना नहीं थी। किताबें शेयर करते थे। वो चीज अच्छी थी। अब ऐसा नहीं है। बहुत ज्यादा पॉलिटिसाइज हो गया है। कुछ भी बोलो तो आपके ऊपर आ जाते हैं। मैं अब कम यूज करती हूं।

सवाल : आज के ट्विटर को लेकर क्या सोचती हैं?

जवाब : अब पहले जैसी बात नहीं रही। फ्री स्पीच का मतलब ये नहीं है कि आप कुछ भी बोल दें और उसकी जवाबदेही न हो। लोग नकली नाम और फोटो के पीछे छिपकर कुछ भी बोल देते हैं। मुझे तो लगता है कि फ्री स्पीच मजाक ही बनकर रह गया है।

​​​​​सवाल : कोई फीचर्स जो आप बदलना चाहती हों?

जवाब : बदलना तो नहीं चाहती लेकिन मुझे लगता है कि मैं ही नहीं बहुत सारे यूजर्स चाहते हैं कि ट्वीट एडिट करने का ऑप्शन होना चाहिए। मान लीजिए आपने कोई ट्वीट किया और उसमें कोई स्पेलिंग मिस्टेस हो गई तो उसे ठीक करने की सुविधा तो होनी ही चाहिए। हालांकि अब सुनने में आ रहा है कि एडिट बटन को लेकर कुछ लोगों के साथ टेस्टिंग चल रही है।

जवाब : मुझे फॉलोअर के नाम पर नंबर्स बढ़ाने में कभी भी इंटरेस्ट नहीं रहा। मुझे ऐसे लोगों से जुड़ना था, जिनके साथ मैंने काम किया हो, जिनसे बात कर सकती हूं। वरना फॉलोअर्स तो खरीदे भी जा सकते हैं। मैंने ट्विटर, इंस्टाग्राम या फेसबुक भी फॉलोअर्स के लिए नहीं, अपना काम शेयर करने के लिए जॉइन किया था। मेरे हिसाब से क्वालिटी ऑफ फॉलोअर्स ज्यादा जरूरी है, बजाय के क्वांटिटी ऑफ फॉलोअर्स।

सवाल : अपनी लाइफ और करिअर के बारे में बताइए?

जवाब : अभी जैसलमेर के एक होटल में काम कर रही हूं। इसके अलावा 18 साल से फोटोग्राफर और ब्लॉगर हूं। पापा आर्मी में थे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में रही हूं। वैसे मेरे मम्मी-पापा हरियाणा से हैं। हम दो बहनें हैं। छोटी बहन भी ब्लॉगर है।

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